Book Title: Chaturvinshati Jinstavan Author(s): Atmaramji Maharaj Publisher: Jain Shastramala Karyalay View full book textPage 3
________________ प्रस्तावना. . कार कयों ने तेम था चोवीसी, जावना, अने स्तवनो विगेरे रची तेवा उपकारमा वधारो कर्यो . ते महात्मानी उपर लखेली कृति या ग्रंथना पहेला जागमा प्रसिद्ध करवामां आवी , अने ते महात्मानुं अनुकरण करनारा श्रने तेमने पगले चालनारा तेमना शांत शिष्य उपाध्यायजी श्री वीरविजयजी महाराजनी कृतिना-विरचित विविध स्तवनो विगेरे जनसमुदायना उपकारने अर्थे जे जे ते ए बनावेल बे, ते ते आग्रंथना बीजा नागमा दाखल करवामां आवेल बे. एकंदर रीते आ पद्यात्मक ग्रंथ वाचवा, मनन करवा, योग्य होवा उपरांत कर्मनी निर्जराना एक साधननूत होवाथी तेप्रमाणे नव्य जनो तेनो उपयोग करशे तो रचनार तेमज प्रसिद्ध करनारनो हेतु सफल थयो मनाशे. प्रसिक कर्ता.Page Navigation
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