Book Title: Chaturvinshati Jin Stotrani Author(s): Vinaysagar Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 3
________________ जुलाई-२००७ इत्याद्या सर्वविद्यार्णवसकलभुवः सञ्चरिष्णूरुकीर्तिः, स्तम्भायन्तेधुनापि श्रुतचरणरमाराजिनो यस्य शिष्याः ॥ इस पद्य का उल्लेख श्री जिनवल्लभगणि ने चित्रकूटीय वीरचैत्य प्रशस्ति में भी किया है । देवभद्रसूरि प्रसत्रचन्द्रसूरि के अत्यन्त कृपापात्र थे। __ आचार्य देवभद्रसूरि जैनागमों के साथ कथानुयोग के भी उद्भट विद्वान् थे। उनके द्वारा प्रणीत निम्न ग्रन्थ प्राप्त होते हैं : महावीर चरित्र (११३९) कथारनकोश (११५८) पार्श्वनाथ चरित्र (११६८) प्रमाण प्रकाश संवेगमञ्जरी अनन्तनाथ स्तोत्र चतुर्विंशति जिन स्तोत्राणि(?) स्तम्भतीर्थ पार्श्वनाथ स्तोत्र पार्श्वनाथ दशभव स्तोत्र वीतराग स्तोत्र जिनचरित्र और स्तोत्रों को देखते हुए यह कृति भी इन्हीं की मानी जा सकती है। वर्ण्य-विषय प्रस्तुत स्तोत्रों में २४ तीर्थंकरों के ३२ स्थानकों का वर्णन है । प्रत्येक स्तोत्र में तीर्थंकरों का नामोल्लेख करते हुए ८ गाथाओं में यह वर्णन किया गया है । स्थानकों का वर्णन निम्न है : तीर्थंकर नाम - १. च्यवन स्थान, २. च्यवन तिथि, ३. जन्मभूमि, ४. जन्मतिथि, ५. पितृनाम, ६. मातृनाम, ७. शरीर वर्ण, ८. शरीर माप, ९. लाञ्छन, १०. कुमारकाल, ११. राज्यकाल, १२. दीक्षा तप, १३. दीक्षा तिथि, १४. दीक्षा स्थान, १५. पारणक, १६. दाता, १७. दीक्षा परिवार, १८. छद्मस्थ काल, १९. ज्ञान नगरी, २०. ज्ञान तिथि, २१. गणधर संख्या, २२. साधु संख्या, २३. साध्वी संख्या, २४. शासन देव, २५. शासन देवी, २६. भक्त, २७. दीक्षा पर्याय, २८. आयुष्य, २९. मोक्ष परिवार, ३०. अन्तरकाल, ३१. निर्वाण तिथि, ३२. निर्वाण धाम । विस्तृत जानकारी के लिए पृथक् से इन ३२ स्थानकों का कोष्ठक यन्त्र परिशिष्ट में दिया गया हैं वहाँ देखें। स्थानकों का उल्लेख किस ग्रन्थ के आधार से किया गया है ? इसका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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