Book Title: Chandraprabhswamicharitam Author(s): Jinendrasuri, Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 9
________________ ॥ अहम् ॥ तपोमूर्तिपूज्याचार्यदेव श्रीमद्विजयकपूरसूरिभ्यो नमः । नागेन्द्रगच्छ नभोनभोमणिपूज्याचार्य देव श्रीमद्द वेन्द्रसूरीश्वर सन्दृब्धं श्री चन्द्रप्रभस्वामिचरित्रम् | -20offer दृष्टोऽपि हृष्टजनलोचन चन्द्रकान्त-मश्रान्तमान्तरजलाविलमादधानः । चन्द्रप्रभो जयति चन्द्र इवेशमित्रं, चित्रं पुनः शुभशताय यदष्टमोऽपि ॥ १ ॥ क्षेrsखिले भरतनामनि बोधिबीजं, वापाय यः किल पुराऽऽदिधुरामुवाह | अंसस्थलस्थितिरसौ 'किणकालिमेव, केशावलिर्विजयतां वृषभस्य तस्य ।। २ । आसन्नोऽपि चरन् भवेद्विरसनोऽन्येषां भिये किं पुनः, प्रारूढः शिरसीत्यवेत्य सभयं कर्माणि यस्मादगुः । १. रूढव्रणपदं किणः । २. पि वरं भपि विभोर्भ पाठान्तरौ ।Page Navigation
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