Book Title: Chando Ratnamala
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir
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चित्रगति ६५, मयूरसारिणी ६६, रुक्मवती ६६, मत्ता ६७, मनोरमा ६८, उपस्थिता ६९, निलया ७०, इन्द्रवज्रा ७०, उपेन्द्रवज्रा ७२, उपजाति ७३, सुमुखी ७५, दोधक ७६, शालिनी ७७, वातोर्मी ७६, श्री ८०, भ्रमरविलसित ८१, रथोद्धता ८२, स्वागता ८३, वृन्ता ८५, भद्रिका ८६. श्येनिका ८७, मौक्तिकमाला ८८, उपस्थिता ८९, उपस्थित ८९, चन्द्रवर्त्म ९०, वंशस्थ ९१, इन्द्रवंशा ९३, तोटक ९४, द्रुतविलम्बित ९५, पुट ९७, प्रमुदितवदना ९७, जलोद्धतगति ९८, भुजङ्गप्रयात ९९, स्रग्विणी १००, प्रियंवदा १०१, मणिमाला १०२, ललिता १०३, मौक्तिकदाम १०४, तामरसं १०५, प्रमिताक्षरा १०५, वैश्वदेवी १०६, मालती १०७, क्षमा १०८, प्रहर्षणीय १०९, रुचिरा ११०, सुदन्त १११, मत्तमयूर ११२, असंवाधा ११३, अपराजिता ११३, वसन्ततिलका ११४, शशिकला ११६, स्रग् ११७, मणिगुणनिकर ११८, मालिनी ११८, तूणक १२०, प्रभद्रकं १२०, चन्द्रलेखा १२२, वाणिनी १२३, पञ्चचामर १२४, शिखरिणी १२५, हरिणी १२७, पृथ्वी १२८, मन्दाक्रान्ता १३०, चित्रलेखा १३१, शार्दूलविक्रीडितम् १३२, मेघविस्फूजित १३४, वृत्त १३५, स्रग्धरा १३६, भद्रक १३८, मदिरा १३९, अश्वललित १४०, तन्वी १४१, क्रौञ्चपदा १४३, भुजङ्गविजृम्भित १४४,
दण्डकवृत्तानि चण्डवृष्टिप्रपातनामदण्डकः १४५, [ इत्याक्यः ]
प्रशस्तिः १४९
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