Book Title: Chando Ratnamala
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 12
________________ अनुक्रमणिका प्रथमः स्तबकः (१-२४) मंगलाचरणम् १, छन्दसां लक्षणम् २, छन्दश्शब्दस्यार्थः २, छन्दसां भेदा: ३, लघुगुरुवर्णज्ञानम् ६, मात्राज्ञानम् ६, युगायुक्संज्ञे १३, गणज्ञानम् १३, अथ मात्रागणाः १७, यतिगत्योर्ज्ञानम् २१, द्वितीयः स्तबकः (२५-४६) अथ मात्रिकच्छन्दसां प्रकरणम् पथ्या २९. विपुला ३०, चपला ३१, मुखचपला ३२, जघनचपला ३२. गीति ३३, उपगीति ३४, उद्गीति ३५, आर्यागीति ३५, वक्त्रछन्दः ३६, पथ्यावक्त्रः ३७, चपलावक्त्रः ३८, अचलति ३९, विश्लोक ३९, चित्रा ४०, पादाकुलक ४१, दोहडिका ४२, वैतालीय ४२, प्रौपच्छन्दसिकं ४४, आपातलिका ४४, दक्षिणान्तिका ४५. तृतीयः स्तबकः (४७-१४८) श्री ४७, स्त्री ४८, मद ४८, नारी ४८, मृगी ४६, मदन ४६, कन्या ५०, सुमति ५०, पंक्तिः ५०, प्रीतिः ५१, मध्या ५१, शशिवदना ५२, विद्युल्लेखा ५२, वसुमति ५३, विमला ५३, सुनन्दा ५४, मदलेखा ५४, ललिता ५५, हंसमाला ५५, भ्रमरमाला ५५, चित्रपदा ५६, विद्युन्माला ५६, नाराच ५७, माणवक ५७, हंसकत ५८, समानिका ५६, प्रमारिएका ६०, सिंहलेखा ६१, वितान ६१, हसमुखी ६२, वृहत्तिका ६२, भुजगशिशुभृता ६३, कनक ६३, शुद्धविराड् ६४, पणव ६५,

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