Book Title: Chamatkar
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 9
________________ चमत्कार चमत्कार नहीं है यह सिद्धि प्रश्नकर्ता : पर काफी कुछ योगियों को चमत्कार आते हैं, जो सामान्य प्रकार से लोग देख नहीं सकते, समझ नहीं सकते, ऐसी वस्तुएँ वे लोग कर सकते हैं। उनके पास सिद्धियाँ होती हैं, कुछ विशेष शक्तियाँ होती हैं, वह क्या है? होगा कि कोई पैसे लेने को भी तैयार नहीं है?! वह क्या है, वह आपको समझाऊँ। आप ऐसा कहो कि मैंने किसीके पैसे नहीं रखे, फिर भी मेरे वहाँ लोग पैसे क्यों नहीं रखकर जाते? और कितने ही लोगों के वहाँ लाखों रुपये जमा रखकर जाते हैं! यह तो आपको उदाहरण दे रहा हैं। आपके अंदर के जो भाव, आपकी श्रद्धा, आपका वर्तन उस प्रकार का है कि आपके वहाँ कोई पैसा जमा करवाकर नहीं जाएगा और जिसके भाव में निरंतर इस तरह दे देनी की इच्छा है, किसीका लेने से पहले दे देने की इच्छा हो, ऐसा डिसीज़न ही हो और वर्तन में भी वैसा हो और श्रद्धा में भी वैसा हो, निश्चय में भी वैसा हो, उसके वहाँ लोग रख आते हैं! क्योंकि उसने सिद्धि प्राप्त की है। क्या सिद्धि प्राप्त की है? कि सबको पैसे वापिस दे देता है। माँगते ही तुरन्त वापिस दे देता है और जो माँगने पर भी वापिस नहीं दे, तो उसकी सिद्धि खतम हो जाती है। जैसी यह पैसों के लिए सिद्धि है, वैसी ही ये दसरी तरह-तरह की सिद्धियाँ उत्पन्न होती हैं। सिद्धि मतलब खुद का एकदम रेग्युलर खाता रखना और अधिक सिद्धि तो कौन-सी होती है? जो कुछ उसे सभी लोग खाने को दें, वहाँ कम खाकर भी लोगों को खुद भोजन करवा दे, उसे अधिक सिद्धियाँ उत्पन्न होती हैं। अपने यहाँ ऐसे संत हुए हैं। यहाँ एक व्यक्ति किसीको भी गालियाँ नहीं देता हो, किसीको डाँटता भी नहीं हो, किसीको दु:ख नहीं देता हो, उसका शील इतना अधिक होता है कि उसे देखते ही सब आनंदित हो जाते हैं। वह भी सिद्धि उत्पन्न हुई कहलाती है। फिर किसी व्यक्ति ने कुछ निश्चित किया हो कि मुझे इस-इस प्रकार का भोजन नहीं लेना है। वह खाना बंद कर दिया, उस समय उसे सिद्धि उत्पन्न होती है। वैसे ही एक व्यक्ति प्याज़ नहीं खाता हो और उसे रास्ते में प्याज़ पड़ी हो तो भी गंध आती है और आपको तो यहाँ पास में पड़ी हो तो भी उसकी गंध नहीं आती। आपने खुद ने प्याज़ खाई हो तो भी गंध नहीं आती। वैसा सिद्धियों के लिए होता है! दादाश्री : विशेष शक्तियाँ आपने किन लोगों में देखी हैं? अभी तो चमत्कार के लिए किसीने इनाम घोषित किया है न, वहाँ एक भी व्यक्ति खड़ा नहीं रहता है। यानी विशेष शक्तियाँ एक के पास भी नहीं है। कहाँ से लाएँ? चमत्कार तो होते होंगे? सिर्फ एक यशनाम कर्म होता है कि भाई, इनका नाम लें, तो ऐसा हो जाता है। या फिर शुद्ध हृदय का व्यक्ति हो न, तो उसके कहे अनुसार सब हो जाता है। ऐसी हृदयशुद्धि की सिद्धियाँ होती हैं। प्रश्नकर्ता : पर योगविद्या से कुछ ऐसी शक्तियाँ प्राप्त होती हैं न? कुछ चमत्कार हो सकें वैसी सिद्धियाँ प्राप्त करते हैं न? दादाश्री : सिद्धियाँ कुछ भी प्राप्त नहीं होती हैं। यानी चमत्कार हो सके वैसी सिद्धियाँ ही नहीं होती। प्रश्नकर्ता : ये योगी लोग सिर पर हाथ रखकर शक्तिपात करते हैं और फिर उससे सामनेवाले को शांति मिलती है, वह भी सिद्धि कहलाती है न? दादाश्री : ऐसा है न, अभी बैठा नहीं जा सकता हो, बोला नहीं जा सकता हो, पर जड़ीबूटी घिसकर पिलाएँ न, तो क्या हो जाता है? चलने-बोलने लगता है, वैसा इन मानसिक परमाणुओं का होता है। पर उससे फायदा क्या? कोई ऐसा व्यक्ति जन्मा है कि जिसने किसी व्यक्ति को मरने ही नहीं दिया हो?! तो हम जानें कि चलो वहाँ तो हमें जाना ही पड़ेगा। अपने माँ-बाप को नहीं मरने दिया हो, अपने भाई को नहीं मरने दिया हो, वैसा कोई जन्मा है? तो फिर इसमें कैसी सिद्धियाँ?

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