________________
चमत्कार
१२
चमत्कार
डिप्रेशन में हो नहीं सकते हैं। एलिवेशन में तो रहते ही नहीं पर डिप्रेशन भी नहीं होता! वे परमानंद में ही होते हैं!
जैसा चढ़ जाए! जब कि मैं भी चढूँ वैसा नहीं हूँ। मैंने चढ़कर ही तो मार खाई है, इसलिए अब सावधान हो गया हूँ। मतलब एक बार चोट लग गई हो तो फिर से लगने देंगे क्या?
इसलिए भगवान चमत्कार नहीं करते और सिद्धि का उपयोग भी नहीं करते।
सिद्धि का दुरुपयोग करने से, क़ीमत कौड़ी की
मतलब सिद्धि समझे न आप?
अभी मुझे करोड़-दो करोड़ रुपये इकट्ठे करने हों तो हो सकते हैं क्या? मेरे बोलते ही हो जाएँ। लोग तो पूरी जायदाद देने के लिए तैयार हैं, उसका क्या कारण है? सिद्धि है मेरे पास। उसको मैं भुनाऊँ तो मेरे पास रहा क्या फिर? कितने प्रयोग करके यह सिद्धि प्राप्त होती है और मुझे पैसों की ज़रूरत नहीं है। पर मेरी जो दूसरी सिद्धियाँ हैं, आंतरिक सिद्धियाँ हैं, वे तो जबरदस्त सिद्धियाँ हैं। पर भगवान महावीर ने सिद्धियों को भुनाया नहीं। भगवान कच्चे नहीं पड़े। तो मैं भी उनका शिष्य हूँ। बहुत पक्का शिष्य हूँ। मैं गोशाला जैसा नहीं हूँ। बहुत पक्का शिष्य, असल!
और वह इतना पक्का कि पूरा जगत् ही विरुद्ध हो जाए तो भी डरूँ नहीं ऐसा पक्का हूँ। फिर उससे अधिक क्या प्रमाण चाहिए? सिद्धि का दुरुपयोग नहीं करता, इसलिए न! और यदि सिद्धि का दरुपयोग करें तो? कल चार आने के हो जाएँ दादा! फिर लोग 'जाने दो न, दादा ने तो अंदर-अंदर लेना शुरू कर दिया है!' कहेंगे। पर मैं गारन्टी के साथ कहता हूँ कि यहाँ सीक्रेसी जैसी वस्तु ही नहीं है। चौबीसों घंटे, चाहे जब तुझे देखना हो तब आ जा यहाँ, सीक्रेसी ही नहीं है जहाँ पर! और जहाँ सीक्रेसी नहीं है वहाँ कुछ है ही नहीं और 'कुछ है' वाले सीक्रेट होते हैं। उनके रुम में कुछ खास समय तक घुसने नहीं देते। यहाँ तो चाहे जिस समय, एट एनी टाइम प्रवेश कर सकते हैं. रात को बारह बजे. एक बजे! कोई सीक्रेसी ही नहीं, फिर क्या? सीक्रेसी नहीं वैसे कोई डिप्रेशन देखने में नहीं आता। चाहे जब 'एट एनी टाइम', किसी भी मिनट दादा
तो मुझे इन सिद्धियों का उपयोग करना हो तो समय लगेगा क्या? क्यों समय लगेगा?! जो माँगे वह मिले, पर मैं भिखारी नहीं हूँ। क्योंकि 'ज्ञानी पुरुष' किसे कहा जाता है? स्त्रियों की भीख नहीं, लक्ष्मी की भीख नहीं, सोने की भीख नहीं, मान की भीख नहीं, कीर्ति की भीख नहीं, किसी भी प्रकार की भीख नहीं हो तब यह पद प्राप्त होता है!
आए आफत धर्म पर, तब... बाक़ी, ज्ञानी पुरुष तो देहधारी परमात्मा ही कहलाते हैं। इसलिए वह बात तो अलग ही है न?! वे चाहें उतना कर सकते हैं, पर वे करते नहीं हैं न, वैसी जोखिमदारी मोल ही नहीं लेते न! हाँ, यदि धर्म दब रहा हो, धर्म पर आफत आ रही हो, धर्म मुश्किल में हो तब करते हैं, नहीं तो नहीं करते।
प्रश्नकर्ता : मतलब लौकिक धर्म पर कुछ आफत आए, तब 'ज्ञानी पुरुष' सिद्धियों का उपयोग करते हैं?
दादाश्री : नहीं, लौकिक धर्म पर नहीं, सिर्फ धर्म मतलब जो अलौकिक वस्तु है न, वहाँ आफत आई हो तब सिद्धि का उपयोग करते हैं। बाक़ी, यह लौकिक धर्म तो लोगों का माना हआ धर्म है, उसके कोई ठिकाने ही कहाँ हैं? अपने महात्मा मुश्किल में हों, तब उपयोग करनी ही पड़ती है न! वह भी, हम सिद्धि का उपयोग नहीं करते। वह तो सिर्फ पहचान से (देवी-देवताओं को) खबर ही देते हैं। सिद्धि तो यों ही खर्च की ही नहीं जा सकती न!
प्रश्नकर्ता : सिद्धि उत्पन्न हो और उपयोग नहीं करें, तो फिर उसका अर्थ क्या?
दादाश्री : जो उपयोग करे उसकी जिम्मेदारी आती है। वह सिद्धि तो अपने आप ही खर्च हो जाती है, हमें खर्च नहीं करनी होती।