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चमत्कार
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चमत्कार
हज़ार में से नौ सौ निन्यानवे लोगों की भाषा वही है न?
दादाश्री : हाँ। वही भाषा है। इसलिए कहता हूँ न, अपने लोगों को तो झूठा है या सच्चा उससे मतलब नहीं है। चमत्कार दिखाए, तब सीधा रहता है, नहीं तो सीधा नहीं रहता। पर मैं तो चमत्कार दिखाए तो समॉ कि बनावट की, इन लोगों ने। चमत्कार किस तरह हो सकता है मनुष्य से? वह किस तरह से पोसिबल (संभव) है? विज्ञान कबूल करे तो ही चमत्कार पोसिबल है! चमत्कार, वह बुद्धिगम्य वस्तु नहीं है, और ज्ञानगम्य में चमत्कार होता नहीं है। बुद्धिगम्य में जो चमत्कार होते हैं, वे तो कम बुद्धिवाले को अधिक बुद्धिवाला फँसाता है। इसलिए चमत्कार जैसी वस्तु नहीं होती है!
प्रश्नकर्ता : यानी दादा, यह कोई बुद्धि से परे वस्तु है, जो भले ही चमत्कार नहीं है, पर बुद्धि से परे कोई वस्तु है?
दादाश्री : ना, वह भी नहीं। ये चमत्कार करते हैं, वह वस्तु बुद्धि से परे भी नहीं है। बुद्धि से परे एक ही वस्तु है, वह ज्ञान है। वह तो स्व-पर प्रकाशक ज्ञान है और ज्ञान में चमत्कार नहीं होता। और यदि चमत्कार कहो, तो वह बुद्धि में आएगा। पर बुद्धि में भी उसे चमत्कार नहीं कहा जा सकता।
यह तो खुदाई चमत्कार!!! इसलिए ज्ञान में चमत्कार नहीं होते हैं। ऐसा है, मैं तो ज्ञानी पुरुष हूँ पर भीतर खुद खुदा प्रकट हो गए हैं। वे खुदाई चमत्कार दिखाएँगे या नहीं दिखाएंगे, थोड़ा-बहुत? खुदाई चमत्कार मतलब क्या कि सामनेवाले को गाली देनी हो तो भी उससे नहीं दी जा सके। यहाँ गले तक शब्द आए पर बोला नहीं जाए। ऐसा होता है या नहीं होता? एक आदमी यहाँ आया था, वह घर से पंप मार मारकर आया था, कि आज तो दादा को जाकर बोलूँ। वह मुझे गालियाँ देने आया था। पर यहाँ बैठा न, तो यहाँ गले से शब्द ही नहीं बोला गया। वह कैसा चमत्कार कहलाएगा? खुदाई चमत्कार! ऐसे कितने ही खुदाई चमत्कार 'ज्ञानी पुरुष' के पास होते हैं,
जिन्हें चमत्कार नहीं करना है, वहाँ चमत्कार बहुत होते हैं। फिर भी हम उसे चमत्कार नहीं कहते।
प्रश्नकर्ता : फिर भी जो अनुभव चमत्कारी रूप से स्वप्न में होते हैं, उसे क्या कहेंगे? मेरी भयंकर बीमारी में दादा ने स्वप्न में आकर हार पहनाकर विधि करवाई, और दूसरे ही दिन सुबह चमत्कारिक रूप से मेरा सारा ही दर्द-बीमारी चली गई और नोर्मल हो गया। वह अनुभव सत्य होता है?
दादाश्री : यह चमत्कार नहीं है, वास्तविकता है। मैं रूबरू मिला होऊँ, उसके जैसा यह सूक्ष्म स्वरूप से मिला है। यह वास्तविकता है, इसमें चमत्कार कोई नहीं है।
प्रश्नकर्ता : पर दादा, ऐसा होता है इसलिए सभी को चमत्कार तो लगेगा या नहीं?
दादाश्री: ऐसा तो हजारों जगह होता है। और इसे मैं चमत्कार कहूँ तो लोग मुझे साधुबाबा बना दें कि आप चमत्कारी बाबा हो। मैं बाबा नहीं हूँ।
कितनों को दादा स्वप्न में आते हैं, बातचीत करते हैं। अब यह तो कुछ मेरा कहा हुआ नहीं है। दिस इज़ बट नेचरल। जैसी जिसकी चित्तवृत्तियाँ होती हैं न, कोई भगवान को ढंढ रही होती है, तो उसे वैसे सारे दर्शन होते हैं! मुसलमानों को भी 'दादा' ख्वाब में आते हैं, उसकी मुझे खबर भी नहीं होती।
प्रश्नकर्ता : दादा ऐसा नहीं कहते कि मैं चमत्कार करता हूँ, पर ऐसे चमत्कार होते हैं न?
दादाश्री : वे होते हैं न। जगत् तो इसे चमत्कार कहता है। पर हम लोग यदि चमत्कार कहेंगे तो जगत् अधिक पागलपन करेगा। वह चमत्कार भाषा ही उड़ा दो! इसके लिए मैंने यह शोध की कि संडास जाने की शक्ति नहीं, वे चमत्कार क्या करनेवाले हैं? ऐसा कहें इसलिए