Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Author(s): Purvacharya
Publisher: Master Umedchand Raichand

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Achar प्रस्तावना सुज्ञ जैन बंधुओ अने व्हेनो! ___ आ एक अति उत्तम अने हमेश मननीय करवा योग्य पुस्तक छे. कारण के आ पुस्तकनी अंदर अति उपयोगी-पूर्वाचार्यकृतचुंटी काढेला चैत्यवंदनो-स्तवनो-तथा स्तुतिओनो संग्रह छे. जो के गुजराती लिपिमा घणा पुस्तको छपाय छे. परंतु शास्त्री लिपिमांघणा ज ओछा पुस्तको छपाएला मले छे. आ पुस्तकना उत्पादक गुरुणीजी महाराज श्रीमान् मानश्रीजी चतुरश्रीजी तथा वीर श्रीजी महाराज साहेबजे तेओ विशेषे करीने मारवाड तरफज विचरे छे अने मारवाड देशना भाइ व्हेनोने गुजरातो लिपि करतां शास्त्री लिपि घणी उपकार करनारी निवडी छे कारण के ते देशमां गुजराती करतां शास्त्री लीपि वांचनारां घणां ज छे. जेथी ते सौने लाभकारी थाय तेवा हेतुथी आ पुस्तक शास्त्री लीपिमां प्रसिद्ध करवामां आव्यु छे. जो के आ पहेलां आ साध्वी महाराजाओना सदुपदेशथी आवा बे चार पुस्तको छपाइ गया छे पण अत्यारे तेमांनी एक पण नकल मळती नथी जेथी ते पूर्वना पुस्तकोमांथी तेमज बीजुं नवीन पण जे कंई उपयोगी लाग्युं तेनो आ साये समावेश करी आ पुस्तक बहार पाडवामां आव्युं छे. तेमां सज्झायो नाखवानी हती ते आ पुस्तक कदमां मोटुं थइ जाय तेने लीधे ते बाकी राखी ते बीजा भाग For Private And Personal Use Only

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