Book Title: Chaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Author(s): Purvacharya
Publisher: Master Umedchand Raichand

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * आ पुस्तकनी उत्पतिना कारणरुप परमपूज्य प्रातःस्मरणीय गुरुणीजी महाराज श्री मगनश्रीजीतुं टुक वृत्तांत साथे तेमनी * मुख्य शिष्या श्रीमति मानश्रीजी महाराजनुं पण टुंक वृत्तांत * * तथा तेभनो फोटो आसाथे दाखल करवामां आव्यो छे. * आ पुस्तकनी उत्पतिना खास कारणरुप पूज्यपाद प्रातःस्मरणीय गुरुणीजी महाराजश्री मगनश्रीजी छे तेओ साहेब महा प्रभाविक थइ गया छे. तेमन चरित्र जाणवा योग्य होवाथी तेओ साहेबर्नु टुंक वृत्तांत आ नीचे आपयामां आव्युं छे, आ पूज्यपाद गुरुणीजी महाराजश्री मगनश्रीजी मारवाड देशमां आवेला जावाल गामना रहेवाशी हता. तेओ साहेब बाल्य अवस्थाथीज धर्म उपर घणी प्रीति धरावता हता. योगानुयोग तेआ बाल्यावस्थामां विधवापणुं पाम्या. एवा अवसरमां अमदावादमां डहेलाना उपाश्रयमां बिराजता पन्यास रतनविजयजीना संघाडानी साध्वीओ सौभाग्यश्रीजी अने केसरश्रीजी जावालमां पधार्या तेमनो उपदेश सांभळी संपूर्ण वैराग्य थयो जेथी सौ संबंधीओनी संमत्ती लइ तेओ साहेबे पोतानी ३० वरसनी उमरे घणी धामधुम साथे दीक्षा अंगीकार करी अने बडी दीक्षा पंन्यासजी रतनविजयजी महाराज पासे पाटण शहेरमां मोटी धामधुमथी लीधी हती. पाये करीने मारवाडमां प्रथम दीक्षा लेनार आ पूज्यपाद मगनश्रीजीज थया छे तेओ साहेबे पछी गुजरात काठीयावाड मारवाड For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 539