Book Title: Chaityavandan Samayik
Author(s): Atmanandji Jain Pustak Pracharak Mandal
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
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पंचवम्वनका समय पूरा होनेपर (जैसे नवकारसीका सूर्योदय होनेसे २ घडी पुरी होजाव जव, पोरसीका एक प्रहर होनेपर इसी प्रकार
और ग गुरु म्यले जान लेना) मुठी बंद कर तीन नवकार गिनना निा मतलब पंचक्खान पारना है) पीछे मुंहमें अन्नानी डालना चाहिए। इति स्वार्थ सहित गुरु वंदनविधि समाप्त । (नेट) शुभेसे दुहरेरतक देवसिों की जगह राइभं कहना
और दुपेरसे रात तक देवमिअं कहना
MARATTA
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: पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामी के आप अनन्यतम शिष्य हैं एवं .. द्वारा सम्पन्न प्राध्यात्मिक क्रान्ति में आपका अभूतपूर्व योगदान है। उनके मिशन की जयपुर से संचालित समस्त गतिविधियों आपकी सूझ-बूझ एवं सफल संचालन का ही सुपरिणाम हैं ।