Book Title: Bhuvansundari Sati Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Ek Shravika

View full book text
Previous | Next

Page 27
________________ भु. सु. १२ अर्ज करे सब एम ॥ आप कृपा कर नगरे पधारो । जिम पावां सह खम ॥ भा ॥ ५ ॥ जोगी अवसर जो संग चलीया । सर्व करे गुण ग्राम ॥ केइ लोक तेहने पग लागे । आया सेठके धाम ॥ भाइ ॥ ६ ॥ सुख मांहे रह एकांत स्थाने । यशःफेल्यो जग मांय ॥ कुष्टा दिक केइ मोटा रोगने । तुत देवे गमाय ॥ भाइ || ७ || देश प्रदेशे फेली पर संस्या | आवे जातरी लोक ॥ क्षितीपुर पती पण सुणी बातए पग को कडावू रोग । भाइ | ॥ ८ ॥ शैन्या लेइ तिहां ते आयो । उतय रावला मांय ॥ प्रताप सेण हर्ष धर पूछे किण कारण आया राय ॥ भाइ ॥ ९ ॥ थाणा गाम में जोगी करामाती । कर्यो घणाने आराम । महारो पगमें साजो करवा | आयो छू इण ठाम ॥ भाइ ॥ १० ॥ इम सुणी ने खबर मंगाइ । जाणी साची बात | प्रद्युमन राय अति हर्ष यो । नेत्र मुज शुद्ध थात ॥ भाइ ॥ ११ ॥ बोलावण भणी सचीव भेज्यों । आयो सेठ घर चाल | आदर पाइ कने जा बैठा । दाख्या सर्व हवाल | भाइ ॥ १२ ॥ सचीव सेठ जोगी कने आया || लुली कीयो नमस्कार ॥ नृप आपने याद करे हैं । दाख्या सब समाचार ॥ भाइ ॥ १३ ॥ जोगी कहे मुज कुछ नहीं चहिये । करते पर उपकार || दिल हुवातो कल आवेंगे || नृप कचेरी मझार ॥ भाङ्ग ॥ १४ ॥ प्रधान नमी महीपपे आया । दाखी सबली बात खण्ड १२

Loading...

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34