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॥ सबी ॥ २१ ॥ * ॥
क खण्ड ॥ कळश ॥ हरीगीत ॥ पुज्य कहान जी ऋषिकी स्मप्रदा । खूबा ऋषि जी अने सरी
चेना ऋषि जी गुरु प्रशादे। सील महीम्गं यह करी ॥ रत्न ऋषि जी महाराज पास रही । अमोलख ऋषि उच्चरी ॥ उन्नीस सो छप्पन शाले । अहमद नगरे । दक्षिणेश्वरी ॥ १॥ दूबली अष्टमी गुरु दिन । सील महीमा की खरी । गावे गवावे सुणे सुगावे । ते लेसी ही श्री ॥ त्रणे तत्व को शुद्ध धारो । तो लेवो शिव पुर वरी । जय २ रहो । १ देव, श्री जैन धर्म की । आनन्द मंगल शुभ भरी ॥ २ ॥ - परम पुज्य श्री कहान जी ऋषि जी महाराज की स्मप्रदाय के बाल ब्रह्मचारी मुनी श्री अमोलख ऋषि जी कृत सील महीमापरः
॥ भुवन सुन्दरी सतीका चरित्र समाप्त ॥
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