Book Title: Bhini Kshanono Vaibhav
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Bhadrankaroday Shikshan Trust

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Page 48
________________ ३ श्रीसम्भवनाथजिनगीतिः ॥ तारय तारय रे सम्भवजिन ! मां तारय मारय मारय रे मोहरिपुं मम मारय.... कारय निरुपमसमतानन्दं निजगुणगणनिः ष्यन्दं, वारय विषमममत्वस्पन्दं संवर्धितभवकन्दम्.... विस्तारय सुविवेकाभोगं दारय दुर्मतिदारुणरोगं विनिवारय मयि कर्मकुदृष्टि Jain Education International योगविलसदुपयोगं, कृतसतताशुभयोगम्... २ रचय शीलसुखसृष्टि, धारय मम विज्ञप्तिं कुरु कुरु १ मयि करुणारसवृष्टिम्.... ३ ४३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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