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उम्मीस
आचार्य प्रवर, महामनस्वी युवाचार्यश्री मुनिवरों का अथक श्रम लगा है, जिसका सबका हृदय से
इस कृति की संयोजना में परमाराध्य ( वर्तमान आचार्य श्री ) महाप्रज्ञ तथा अन्यान्य मूल्यांकन करना मेरे जैसे व्यक्ति के सामर्थ्य से परे की बात है । आभारी हूं ।
वि० २०४४ श्रावण शुक्ला ६ १-८-८७
श्रीचंद रामपुरिया कुलपति
जैन विश्व भारती,
लाडनूं