Book Title: Bhasya Trayam Author(s): Devendrasuri Publisher: Yashovijayji Jain Sanskrit Pathshala Mahesana View full book textPage 8
________________ १ श्री चैत्य-वन्दन-भाष्यम् वंदित्तु वंदणिज्जे सव्वे चिइ-वंदणाऽऽइसु-वियारं । बहु-वित्ति-भास-चुण्णि-सुयाऽणुसारेण वुच्छामि ॥१॥ ४ दहतिग अहिगमपणगं दुदिसि तिहुग्गहतिहाउवंदर्णया। पणिवाय नमुक्कारा वन्ना सोलसय-सयाला ॥२॥ इगसीइसयं तु पयाँ सगनउँई संपयो उ पण दंडा। बॉर अहिगारचउ-वंदणिज्ज सैरणिज्ज चउह-जिणा ॥३॥ ૨ ૩ ૨ ૨૫ ૨૬ ૨૯ गारा। चउरो थुई निमित्तट्ट बार हेऊ असोला आगारा।। गुणवीसदोस उस्सग्ग-माणे थुत्तं च सग वेला ॥४॥ दस-आसायण-चाओ सव्वे चिइ-वंदणाइ ठाणाई। चउँवीस दुवारेहिँ दु-सहस्सा हुंति चउसयरा ॥५॥Page Navigation
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