Book Title: Bhasya Trayam
Author(s): Devendrasuri
Publisher: Yashovijayji Jain Sanskrit Pathshala Mahesana
View full book text
________________
ભાષ્યત્રયમ્
१०
૧૩.
१४
૧૫ ૧૬ ૧૫
૧૭
-वावारच्च
तिन्नि निसीही तिन्नि उ पयाहिणा तिन्नि चेव य पणामा तिविहा पूया य तहा अवत्थ-तिय-भावणं चेव ॥६॥ ति-दिसि-निरिक्खण-विई पय-भूमि-पमज्जणंच तिक्खुत्तो वन्नाऽऽइ-तियं मुद्दा-तियं च तिविहं च पणिहाणं ॥७॥ घर-जिणहर-जिणपूआ-वावारच्चायओ निसीहि-तिगं। अग्गद्दारे मज्झै तइया चिड्-वंदणा-समए ॥८॥ अंजलि-बद्धो अद्धोणऔ अं पंचेंगओ अंति-पणामा। सव्वत्थ वा तिवारं सिराइ-नमणे पणाम-तियं ॥९॥ अंगऽग्ग-भाव-भेया, पुप्फाहारथुईहिं पूर्य-तिगं । पंचुवयारा अट्ठोवयार सव्वोंवयारा वा ॥१०॥ भाविज्ज अवत्थ-तियं पिंडत्थ पयत्थ स्त्र-रहिअत्तं । छउमत्थ-केवलित्तं सिद्धत्तं चैव तस्सत्थो ॥११॥
DOT
-

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 276