Book Title: Bharatiya Shilpsamhita
Author(s): Prabhashankar Oghadbhai Sompura
Publisher: Somaiya Publications

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Page 199
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६४ भारतीय शिल्पसंहिता १ विघ्न विनायक २ हस्ति मुख ३ एकदंत ४ वक्रतुंड ५ लंबोदर प्रादि । 'मुवगल पुराण' में गणेश के ३२ स्वरूप उनके नाम और लक्षण के साथ वर्णित किये गये हैं। १ बाल २ तरुण ३ भघन ४ पीर ५ शक्ति ६ द्विज ७ सिद्ध ८ उच्छिष्ट ९ विघ्न हर १० क्षिप्र हेरंब आदि हर स्वरूप हैं। बौद्ध संप्रदाय में गणेश को भयंकर तथा विघ्नरूप माना गया है। उसमें शबरी देवी गणेश को पैर के नीचे कुचलती दिखाई देती है। गणेश को उन्होंने सांप्रदायिक देव माना है। गणेश का सामान्य स्वरूप इस प्रकार है : सुंढवाला हस्ति का मुख, बड़ा पेट, सिंदूर वर्ण, टूटा हुआ एकदंत, साथ में उनकी दो पत्नियांऋद्धि-सिद्धि, (शुद्धि और बुद्धि) होती हैं। विशेषतः वे ललितासन में बैठे होते हैं। कहीं खड़ी मूर्तियाँ भी पायी गई हैं। (१)श्री गणेश स्वरूप : दंड, फरसी, पद्म और मोदक वाले गणेश का वाहन मूषक है। गणेश सिद्धि के दाता माने जाते हैं। (२) हेरंब गणेश : पंचवध के-पाँच मुख और तीन-तीन नेत्र वाले हेरंब-गणेश्वर को चूहे का वाहन है । वे सर्व कामना से साधक हैं। दश भुजा के हेरंब के दायें हाथों में वरद, अंकुश, दंड, परशु और अभय तथा बायें हाथों में कपाल (खोपड़ीपात्र) धनुष, माला, पाश और गदा होते हैं। ROIDIEO ANTERVS SHARE UNOr ADS TA य ASIA पंचमुख हेरंब गणेश शुध बुधनारी सहित शिवपंचायत गणेश परिकर युक्त (३) 'शिल्प रत्न' के मत से वे सूर्य जैसे तेजस्वी होते हैं । इनका वाहन सिंह का होता है। तथा १० भुजायें होती हैं, जिनमें वरद, अभय, मोदक, दंड, टंक, धनुष, मात्रा, मुद्गर, अंकुश और त्रिशूल धारण किये होते हैं। उनका कमल जैसा श्वेत वर्ण और सुवर्ण जैसा मुख कहा है। (४) हेरंब गणेश का तीसरा स्वरूप इस तरह वर्णित किया गया हैं: सिंदूर वर्ण, तीन नेत्र, सफेद कमल पर बैठे हुए इन गणेश के For Private And Personal Use Only

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