Book Title: Bharatiya Shilpsamhita
Author(s): Prabhashankar Oghadbhai Sompura
Publisher: Somaiya Publications

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Page 234
________________ www.kobatirth.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अष्टमंगल : जैनो में प्रष्टमंगल का महात्म्य बहुत है। १. स्वस्तिक ३. दर्पण ७. भदारून २. नंषावर्त ४. युग्म मत्स्य ६. श्रीवत्स ८. वर्धमान इन शुभ चिह्नों के मध्य में तीर्थंकर की प्रतिमा का चिह्न भी होता है। कुशान काल की यह प्रतिमा मथुरा की खुदाई से प्राप्त हुई थी। चौदह स्वप्न : तीर्थकर के जन्म से पहले उनकी माता को स्वप्न पाता है। इसमें ये १४ भिन्न-भिन्न वस्तुएँ दिखाई देती है। १. हाथी, २. नंदी, ३. सिंह, ४. लक्ष्मी, ५. पुष्प की दो माला, ६. चंद्र, ७. सूर्य, ८. ध्वज, ९. कुंभ, १० पम सरोवर, ११. क्षीरसागर, १२. देव विमान, १३. रत्नकुंडी, १४. धूम्ररहित अग्नि। चौदह स्वप्न सिल ३ पोलार्धा हाथी लत्या पर ६.9. भा कलश: पशुसशेवर.१० r OS हारसमुद्र १ वैमान. ३ । उनलेडी मिस अधीरथ ANTTILAL...MISRL PRABHASHANKER OSTAT For Private And Personal Use Only

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