Book Title: Bharatiya Shilpsamhita
Author(s): Prabhashankar Oghadbhai Sompura
Publisher: Somaiya Publications

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Page 242
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बैन प्रकरण २०७ आयतन देवों का समूह मंदिर और देवकुलिकाओं का 'आयतन' कहते हैं। विष्णु, शिव, गणेश, चंडी पोर सूर्य का पंचायतन होता है। ऐसे चौबीस अवतार का विष्णु चतुर्विंशति पायतन। जैन तीर्य का चौबीस आयतन द्वीसप्तायतन। चतुअष्टिनायतन (८४) और शतप्रष्टोतर (१०८)शिवलिंग का होता है। ऐसे जैन में भी पायतन होते हैं। यहां चतुर्मुखीय महाप्रासाद के दो बडे तलदर्शन दिये गये है। चतुर्दिशा में देवकुलिकाओं (देरीओं)अनेक मंडप के बीच बीच में प्रकाश के लिये चोक रखे है। हमारे ग्रंथ संग्रह में हमारे पूज्य पितामह निर्भयराभा का उल्लेख किया पुराना नक्शा है। सप्त मातृकाओं का सप्तयातन, नवदुर्गा का नवायतन, एकादशरुद्र का रुदायतन होता है। जिनाय में चौबीस, बायन, बहोतेरि, आयतन का क्रम पक्ष में, सन्मुख और प्रागे कितने देवकुल को रखना उनका क्रम दिया है। मगर स्थान भाव से कम जास्त करके पुरी संख्या मिलाना इसमें कोई दोष नहीं है। मकर पंच असतन PARDIAYATAN सूर्य, विष्णु, शिव, गणेश और चंडी का पंचायतन For Private And Personal Use Only

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