Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka 1899 Se 1947 Tak ka Sankshipta Itihas
Author(s): Ajit Prasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

View full book text
Previous | Next

Page 18
________________ सेठ हीराचन्द नेमचन्द शोलापुर ने बतलाया था कि अन्य धर्मनुयाइयों की अपेक्षा जेल में जैनियों की संख्या सब से कम है प्रतिशत ईसाई ·२५ मुसलमान •१६, हिन्दू .१ पारसी •०५, जैन •०१४१ संयुक्त प्रान्त के प्रतिष्ठित अग्रगण्य महाशयों से अतिरिक्त, ए. बी. लहे मन्त्री जैन महाराष्ट्र सभा कोल्हापुर से, सेठ हीराचन्द नेमचन्द आनरेरी मजिस्टेट शोलापुर से, चिरंजीलाल की अलवर से, श्रीयुत जैन वैद्य, मालीलाल कालसीलाल और गुलेलाजी जयपुर से, श्रीयुत कीर्तिचन्द, सोहनलाल और कई श्वेताम्बर जैन रावलपिंडी से, श्रीयुत जिनेश्वर दास मायल, सोहनलाल जी देहली से, प्रो० जियाराम लाहौर से, श्री मानिकचन्द ऐडवोकेट खंडवा से, सिंघई नारायणदास जबलपुर से, श्री शिन्बामल अंबाला से, श्री किशोरीमल जी गया से, लाला मुन्शीराम और उनके श्वेताम्बर मित्र' होशियारपुर से, इस अधिवेशन में सम्मिलित हुए थे। सभा में प्रतिदिन तीन चार हमार की उपस्थित होती थी। एक विशेष गौरव की बात जैन महिला समाज के लिये यह थी कि श्रीमती मगनबाई ( जैन महिला रन) ने भरी सभा में ५-६ हजार की उपस्थिति में स्त्री-शिक्षा पर भाषण दिया। मुरादाबाद निवासी श्रीमती गंगादेवी ने उनके वक्तव्य का समर्थन किया था। जैन महिला रत्न श्रीमतो मगनबाई को महासभा की तरफस से ५०) का स्वर्ण पदक दिये जाने की घोषणा की गई। ___ इस अधिवेशन के उल्लेखनीय प्रस्ताव दो थे न०४ भारतीय युनीवसिटियों से आग्रह करके संस्कृत शिक्षा विभाग में जैन साहित्य और जैन दर्शन को उचित स्थान प्राप्त कराया जाय। नं०५ भारतीय जेल विभाग की रिपोर्ट में जैन जाति के अपराधियों को भिन्न स्तम्भ में दिखाया जाय ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108