Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka 1899 Se 1947 Tak ka Sankshipta Itihas
Author(s): Ajit Prasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 61
________________ पेश न किया गया हो, उस हिसाब को ठीक कराकर प्रकाशित कराया माय । जैन मंदिरों में जो रुपया जमा है उसका जैन साहित्य तथा जैन संस्कृति की रक्षा और प्रचार में सदुपयोग किया जाय ! . (८) गम्भीरमल पांड्या ने जो विवाह नाबालिग कन्या से जबरन उसकी अनुमति विरुद्ध किया है उसको महामण्डल घृणित घोषित करता है। यद्यपि सरकारी अदालत से वह विवाह ठीक माना गया है तथापि मण्डल उसको नीति विरुद्ध, समाजोन्नति में हानिकारक, अनुचित, और धर्म विरुद्ध मानता है । जैन समाज और केन्द्रीय धारा सभा से मण्डल अनुरोध करता है कि प्रचलित कानून में इस प्रकार सुधार किया जाए और ऐसी योजना प्रति शीघ्र की जाय कि पाइन्दा ऐसे अत्याचार न होने पावें ! (६) जैन समाज का असंख्य रुपया धर्म प्रभावना के नाम पर पंच कल्याणक, बिम्ब प्रतिष्ठा, रथयात्रा, गजरथ आदि उत्सवों में खर्च होता है । कितने ही स्थानों में मन्दिरों और मूर्तियों की रक्षा और पूजा का उचित प्रबन्ध नहीं है। मण्डल प्रस्ताव करता है कि जैन समाज की विचार धारा में इस प्रकार परिवर्तन किया जाय कि धर्मनिष्ठ लोग अपना धन मौजूदा प्राचीन मूर्तियों और मन्दिरों की खोज, जीर्णोद्धार, रक्षा और सुप्रबन्ध में लगावें । (१०) धार्मिक वात्सल्य, सामाजिक प्रेम और सहयोग की वृद्धि के लिये अन्तर्जातीय, और अंतरसाम्प्रदायिक विवाह और सहभोज की श्रावश्यकता है। __ पच्चीसवाँ अधिवेशन पच्चीसवाँ अधिवेशन ता० २५, ५६ अप्रैल १९४५ को डाक्टर हीरा लालजी जैन एम० ए०, एल० एल० बी०, डी. लिट् प्रोफेसर मारिस कालिज नागपुर के सभापतित्व में गाडरवाड़ा में महाबीर जयंती के समारोह पर बहुत ही शान और ठाठबाट से हुश्रा । प्रातः प्रभात फेरीप्त

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