Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka 1899 Se 1947 Tak ka Sankshipta Itihas
Author(s): Ajit Prasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 87
________________ ( ४८ ) ६४ – प्रत्येक सदस्य अन्य सम्प्रदायों के धार्मिक पर्व में सम्मिलित हुआ - करेगा । १९३८ ६५ - विवाहोत्सव में महामंडल अधिबेशन किया गया । ६६ - धार्मिक भंडारों में जो रुपया जमा है, उसका उपयोग जैन साहित्य प्रचार, प्राचीन ग्रन्थोद्धार, जैन धर्म-सम्बन्धी विद्या प्रचार में किया जाए । ६७ -- वर्तमान परिस्थिति में जहाँ जैन मन्दिर मौजूद हैं, वहाँ नया मन्दिर या नई बेदी बनवाना बिल्कुल अनावश्यक है । ६८ - जाति वहिष्कार के दस्तूर को दूर करना । १६४४ ६९ - दिगम्बर श्वेताम्बर धार्मिक पर्व पर मिलकर, साप्ताहिक या मासिक सामूहिक प्रार्थना की जाय । ७० – महाम डल का प्रत्येक सदस्य पूर्ण शक्ति से प्रयत्न करे कि तीर्थक्षेत्र सम्बन्धी सब मुकदमे पंचायती न्यायालय द्वारा निर्णय किये बाये । वह निर्णय प्रत्येक जैन को मान्य हो । कोई मुकदमा सरकारी कचहरी में न जाने पावे | ७१ - जिस किसी जैन मन्दिर या अन्य संस्था का हिसाब साफ नहीं रखा गया हो, या उसमें सन्देह हो, या अधिकारीवर्ग के सामने पेश न किया गया हो, उस हिसाब को ठीक कराकर प्रकाशित कराया जाय । ७२ - जैन समाज का श्रसंख्या रुपया धर्म प्रभावना के नाम पर, पंच कल्याण, विम्ब प्रतिष्ठा, रथयात्रा, गजरथ श्रादि उत्सवों में खर्च होता है । कितने ही स्थानों में मन्दिरों, मूर्तियों की रक्षा श्रौर पूजा का उचित प्रबन्ध नहीं है। मंडल प्रस्ताव करता है कि जैन समाज की विचारधारा में इस प्रकार परिवर्तन किया जाय कि

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