Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka 1899 Se 1947 Tak ka Sankshipta Itihas
Author(s): Ajit Prasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 35
________________ ( २० ) में सम्मिलित होने वालों के कुछ नामों का उल्लेख कर देना अनुचित न होगा। जैसे, प्रो० जेम्सप्रैट विलियमस-टाऊन संयुक्त राष्ट्रीयसंघ अमेरिका, लार्ड बिशप बनारस, प्रो० उनवाला, डाक्टर भगगनदास, कुमार सत्यानन्द प्रसाद सिंह, डा० फिसकोन (लीपजिग जर्मनी), माणिकलालजी कोचर नरसिंगपुर, सेठ हुकुमचन्द खुशालचन्द काठियावाड़, रायबहादुर मोतीचन्द्रजी, रानी औसानगंज, श्री सुकतंकर साहित्याश्रम इन्दौर, सर सीतारामजी, ब० भागीरथजी, ब्र० ठाकुरदास जी, ब्र० भगवानदीन जी, ब्र० गुम्मनजी मूडबिदरी, महाराज कपूर. विजयजी, मनिराज श्री क्षमामुनिजी, विनयमुनिजी, प्रताप मुनिषी इत्यादि । इस महोत्सव का पूर्ण विवरण अंग्रेजी जैन गजेट अनवरी १९१४ में प्रकाशित है। ___ ऐसे महत्व का महोत्सव आज तक जैन समाज में नहीं हुआ और इस सबकी आयोजना के श्रेय का बहुभाग श्री कुमार देवेन्द्र प्रसादजी पारा निवासी को है । इस महोत्सव के आयोजन से स्वर्गीय कुमारजी की कीर्ति अजर अमर रहेगी। चौदहवाँ अधिवेशन चौदहवाँ अधिवेशन बम्बई ता ३०, ३१ दिसम्बर १९१५ को स्थानकवासी समाज के प्रतिनिधि, उगते सूर्य, अर्थशास्त्र के ख्यातिप्राप्त श्राचार्य खुशाल भाई टी. शाह वैसिस्टर-ऐटला के सभापतित्व में हुआ। इस अधिवेशन में भी अपूर्व उत्साह और शान थी। उन्हीं दिनों बम्बई में नैशनल कांग्रेस की बैठक बगाल केसरो सर सत्येंद्रप्रसन्न सिंह के सभापत्वि में हो रही थी और नगर सारा सुसजित था। महामंडल के इस अधिवेशन में अनेक प्रान्त, अनेक जाति और अनेक सम्प्रदाय के अग्रगण्य जैन सम्मिलित हुए थे । श्रा मकनजी जूठाभाई मेहता बैरिस्टर ऐटला स्वागत-समिति के अध्यक्ष थे। श्री वाडीलाल मोतीलाल शाह

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