Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 04 Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मनोबळ पर जे खेंचाण करे छे ते तथा मधुर मुरलीनो नाद क्रूर अने भयंकर सर्प जातिमां पोतानी मोहिनी नाखी डोलावी बेभान करीदे छे ए कोना हृदय बहार छ ? अर्थात् सर्वने विदित छे तो मनुष्य के जे सहृदय छे ते प्राणिना हृदयने संगीत केटलुं आकर्षों शके ए सुजनने जाते विचार जोइए.. ___उपरनी वात तो आपणे कही गया पण कइ भाषामां आ रीते उपदेशादिक होवू जोइए. एमां पण वांधा अने तकरारो विद्वानो अनेक प्रकारनी उठावे छे. इंग्रेजी भणेला इंग्रेजी भाषाने सारी अने प्रौढ माने छे. संस्कृत भणेला संस्कृतना प्रेममाथी बीजी भाषा तरफ आंख उघाडीने जोता पण नथी हिंदुस्थानी भाषा वाळाओ 'हिंदुस्थानि के सोलेहि आने मानते हे.' गुर्जरी भाषाना साक्षरो गुजरातीनी गौरवता गणे छे. आदि आदि अनेक देश प्रचलित भाषाना साक्षरो पोत पोतानी भाषाने वखाणे ए स्वाभाविक छे. उपरनी भाषाओमाथी मात्र संस्कृतने अमो आर्यावर्तना प्रदेशो माटे मानीए. कारण आखा हिंदनी मूळथी मांडीनेज संस्कृत सामान्य अने मोभादार तथा प्रिय भाषा छे. अमो माध्यस्थदृष्टिथी विलोकी कहिए छिए के जे जे देशमा प्रचलित जे भाषा होय ते देश माटे ते भाषा सारी छे.जेमके गु. जराती भाषामां सामान्य रीते सर्व प्राणीना हृदयने आल्हाद आपवा. हिंदुस्थानी के मराठी आदिक भाषाओ होइ शके नहि. गुजरातने माटे गुजरातीज होय. तेम उत्तरहिंदने माटे गुजराती के मराठी उपयोगी परीपूर्ण होइ शके नही. तेम दक्षिणमां हिंदुस्थानीय के गुजराती मिय होइ शके नही. एतो गुजरातीमां गु. जरातीज 'उत्तरहिंदमां हिंदी, दाक्षणमां दक्षणिज' पोशाइ शके. प्रश्न थशे के, संस्कृत के इंग्रेजी आखा आर्यावर्तने माटे हाल सा. For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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