Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 04
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरल राख्यु छे के ए सुशोभित पुस्तकोना मूल्य करतां छपावनारने खर्च वधारे छे. एम करवानुं कारण तेमनी परोपकार दृष्टिज छे. हवे अमो एटलं कहीने विरमीशु के श्री बुद्धिसागरजी जेवा सत्यग्राही, ज्ञानी, योगी आत्मनिष्ठ अने परोपकार परायण पुरुष धर्म मार्गनो उद्धार करो एटटुंज नही पण व्यवहार तथा देश- पण उदय करो ते माटेज तेमनुं जीवन परमात्मा दीर्घ करें। तथास्तु सं. १९६५ विजया दशमी. वरसोडा निवासी पंडित भोलानाथ शर्मा. www.. भजनसंग्रहभागचतुर्थ संबंधी लेख्य. नवरस रंगित काव्यना आस्वादथी जे मुख थाय छे ते सुख खरेखर अध्यात्म रसनी आगळ एक बिंदु मात्र पण नथी. अध्यात्मरसमा रंगित थतां पराभाषा स्वयमेव खीले छे, अने जे वस्तुनो अनुभव थाय छे, ते वैखरीचाणी द्वारा अक्षर रुपे बहिर प्रकाशे छे. आ भजन संग्रह चतुर्थ भागमा पण विशेषतः तेवीज स्थिति थएली छे. संवत १९६५ ना माह शुदी त्रीजना दीवसे अमदावाद थी डभोइ तरफ जवा विहार कर्यो. त्यारे विहारमा जे जे गामो आवतां तेमा अनुपाधिदशायोगे जेवा जेवा संयोगो पामी जेवा जेवा आध्यात्मिक विचारो उद्भवता हता.ते काव्यरुपे गोठववामां आव्या छे. अमदावादथी मातर अने मातरथी कावीठा अने कावीठाथी बोरसद थइ पादरा जवानुं थयु. पादरामां For Private And Personal Use Only

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