Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 03
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना. श्री भजनस्तवन पद संग्रह तृतीय भाग प्रस्तावना जगत्मा श्रेष्ठ आत्मधर्म छे. ज्ञानदर्शन चारित्रनी आराधना करवी तेज इष्ट परमार्थ कृत्य छे. हृदयमां परमात्मविचारणाना उठेला उभराओ वाणीद्वारा प्रकाशे छे, तेथी वाणी परजीवोने आ त्मधर्ममां पुष्टालंबन थाय छे. जिनाज्ञा प्रमाणे आत्मतत्त्वनुं ज्ञान क. रवं; आराधन करवू; गान करवू, ते सर्वथी उच्चभावनी वृद्धि थाय छे. उच्चभावथी आत्मा परमात्मारुप थाय छे, हृदयमा उच्चभावनी स्फुरणाओ उत्पन्न थाय छे, तेनुं गान करवू ते भजन कहेवाय छे. आवी स्फुरणाओ द्रव्य, क्षेत्र, काल भावना योगे उत्पन्न 'थाय छे. श्री माणसा नगरमां संवत् १९६४ नी सालनुं चातुर्मास कयु, ते प्रसंगे माणसावाळा सुश्रावक वीरचंदभाइ कृष्णाजी विगेरेनी विनंतिथी चोवीस तीर्थकरनी चोवीशी अने वीशविहरमान जिननी वीशीनी रचना थइ छे. तेमज पृष्ठ. २८ थी ते पृष्ठ ६३ सुधीमां स्वाध्यायो विगेरे छे, तेनी रचना पण माणसा चातुर्मासमां थइ छ; तेमा वर्तमानकालनो सुधारो छे तेनु रहस्य पुनः पुनः विचारीने हृदयमा उतारवा योग्य छे. वर्तमान कालनी मुख्यता लेइ सापेक्ष बुद्धिथी भूत भविष्यनी गौणता राखीने स्वरुप दर्शाव्युं छे पृष्ट. ६३ थी ६७ सुधीनां मस्तानगानो श्री रीदरोल गाममां रचायां छे. रीदरोल गामना विवेकी श्रावक शेठ. रीखवदास कालीदास विगेरेनी विनंतिथी त्यां मास कल्प कर्यो हतो. त्यांथी विहार करी. गाम, आजोल बीलोद्रा, डाभला थइ मेहसाणे जQ थयुं हतुं. त्यां पृष्ठ. ६७ थी ते पृष्ठ १०० सुधीनां पदोनी रचना स्फुरणा आवतां तप्रसंगे थइ हती. पृष्ठ १०० थी ते ११० पृष्ट सुधीनां पदोनी रचना विहारमां. लींच, गाम जोटाणा विगेरेमा थइ हती. पृष्ठ. ११० थी ते पृष्ठ १२६ सुधीना पदोनी स्फुरणा श्री भोयणी गाममा श्री मल्लिनाथजीना ध्यानथी प्रसंगे उद्भवी हती. पृष्ठ १२६ थी ते पृष्ठ १३६ सुधीना पदोनी स्फुरणा-भायणीथी विहार करी For Private And Personal Use Only

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