Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 03
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०४ . बोध पत्र. २०७ १०८ सिद्धान्तामृत ७८ | करवा लायक शिष्य. ९९ शुदस्वरूप ७८ । आत्मखुमारी. १०० योगविषय रागद्वेष त्याग १०० वैराग्यामृत उच्च बोध. अलखफ़कीरी अधिकार. १०२ आत्मज्ञान प्रकाश | सिद्धान्तवाणी. तर्क वितर्क | योग विषय. १०४ चितिशक्ति. मनः शक्ति. ब्रह्मचर्य. एक जिज्ञासुपर लखेलो लक्ष्मीसत्तानी उपाधि.. ८४ आत्मज्ञान महत्ता. हितवाणी. मन चंचलता. तत्त्वज्ञान. कई वस्तुमा रा. आत्मबोध. सद्गुरु बोध. आत्मपुरुषार्थ साध्य. १०९ मन मळवाथी अन्तर वार्ता हेतु बोध. थाय. ८८ समाधि धर्म चेतन शक्ति खीलवणी. ८९ ललना मोह शाश्वत सुख अभ्यास. ९० व्यवहार धर्म. अल्पज्ञान हानि.. मल्लिनाथ स्तवन योग्यता. मल्लिनाथ स्तवन. उपाधि.. गुरु भक्ति. ११४ उपाधि पीडाना उदगार.९३ ईया. तत्त्वमसि. खटपट. ज्ञानदशा जीवन जिनवरवाणी. ११७ आत्मध्यान. पुद्गल ममता त्याग. ११७ देह तंबुरो. चेतन ध्यान. कर्तव्य कृत्य. सापेक्ष बोध. सारांश बोध. ९८ परमबोध १२० ११५ For Private And Personal Use Only

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