Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 02 Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आत्मानुभव स्वरूप सम्प प्रेरणा मुनि सद्गुरुस्तुति श्रीवीरस्तुति अनुभवद्वा सप्तति ब्रह्मचर्य महिमा नवतत्व स्वरूप आतम अनुभव रटना असल फकीरीनी खुमारी ६१ राम राम रटना कृष्णस्तवन आत्म विज्ञप्ति नेमनाथभक्ति आवश्यक स्मृति श्रावक हित शिक्षा दया महिमा अलख देशगान मायाथी दुर रहेबानो उपदेश चेतनने उपदेश जीवने जागवानी उपदेश पामर जीवनी स्थिति जाग जिवडा जाग www.kobatirth.org जिवडा पद चेतिले चेतिले १९ प्रभुरटन उपदेश ५५ सत्य महिमा ५७ सत्य जाग्रति प्रेरणा ५८ दिव्यशिक्षा ५९ स्वार्थ महिमा ६० ६१ ६३ ६३ ६४ ६५ ६७ ६७ ७६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वीत वेळा पाछी नहि आवे शब्द सृष्टि विद्वत्ता चेतचेतन समयनो उपयोग ८१ ८१ बाह्य ममतानो त्याग सत्य धर्म गुरुभक्त स्थिति वीरस्तवन ७७ आत्मस्तुति ७८ कलिकाल महिमा अने कृत्योपदेश ७८ वचनामृत दुहा ७९ जैन बोर्डींग विवेचन अलख देशमा हंसने प्रेरणा * * * * * For Private And Personal Use Only ૮૨ ८३ ८८ ሪ ८९. अथ श्री सिद्धाचल दुहा ८९ ९८ ८४ ८५ ८५ ८६ ८७ ܘ ७९ १०५ ८० इरिया बहियाना भेद १०६ हुने मा १०७ पतिवृता स्त्री १०७ सुधारा १०८. १०३ १०५Page Navigation
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