Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 02 Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भक्तिमेवा २१७ गुरुस्तवनम् २४० विषय त्याग २१८ सारी शिक्षा २४१ दुनियादारी २१९ उपाधि ૨૪? ब्रह्मरस २२० स्वरूपोद्गार २४२ सद्गुण दृष्टिभावना २२१ आत्माना दयाना उद्गार२४३ विचारीने सर्व कर २२३ सूती वखते आत्मोदगार धर्मनी सजाय २२५ आवश्यक २४३ परमप्रभु गान २२५ भेदए भेद आप्यो २४४ चिद्घन गान २२६ आत्मदेशोन्नतिना आवे श्रीयशोविजयजी स्तुति २२६ शोदगार २४५ अन्तरमा सुख २२७ सहुनुं सारु इच्छो . २४७ आत्मोपयोग २२८ केम उंघेछे ૨૪૮ चेतवणी २२८ पर पंचात २४८ अमूल्य शिक्षा २२९ हारु कोइ नथी २४९ ध्यान प्रेरणा २३० इष्टदेवर्नु आवाहन ૨૫૦ आत्मा ध्येय २३१ पैसा परास्थिति प्रेरणा २३२ गप्पां २५१ चेतन दर्शन २३३ चिदानन्द રપર गुरु शरण २३३ राजानुं लक्षण अनन्त ज्ञान भंडार शाश्वत चेतन ૨૫૬ आत्मा २३४ इश्वर स्तुतिः २५७ अन्तर सुख २३६ कीर्ति २५८ राजयोग २३६ काया अने चेतनचर्चा २५९ योग रहस्य २३८ विषय २६१ जाहेर चेतवणी २३९ आनन्द ल्हेर ૨૬૨ प्रभात भावना २३९ वीर जिन दर्शन स्तवन २६२ २५१ For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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