Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 02
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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भव्यजीवोए आ अशुद्ध वाक्योने नीचे प्रमाणे शुद्ध करेला छे तेम पुस्तकमां सुधारवा प्रयत्न
करवो, पुस्तकमांवांचीने अवश्य शुद्धिकरखी, ॥ श्री भजनपदसंग्रह द्वितीयभागनी शुद्धि पत्रिका ॥ पत्र लीटी अशुद्ध समभाव
समभावे साधले
साधीले ३१ १३ सायो
साधो 3३१ वकत्री
की ३२ १९. आत्मा
आतमा दूकर
दुष्कर ૩૬ ૨૦ देही ३६ २१ व्यापिया व्यापियो ૪૧ ૨૦ हारो
तारो कबी बुहोत झळक थतां
थातां युगप्रधानो युगप्रधानो समज्याविण भूल्या अणसमज्याथी खडा
दुःखडां ६४ १६ झान
ज्ञान ६५१८ रहे
रह्यो ૭૧ ૧૩ मळशे
श्वासमाहि श्वासमांटि
देहो
कबु होत
झळके
૧૭
भळशे
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