Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 02 Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०१ २०२ सजाय १६६ निन्दा जगत् जीवोना विचारनी ज्ञान माहिमा विचित्रता १६७ कर्मस्वरूप जगत्नी अस्थिरता १६७ शिष्य स्वरूप जरातो विचार १६८ दारु विषे सन्त १६९ चोरी वचननी टेक पाळ्या विषे १६९ उद्यम महिमा शरीरमा आत्मा देव ध्यान समान छे १७० गंभीरगुण पुण्यने पापनो फेर १७१ योग स्वरुप धर्म अने पापनो फेर १७१ आत्म जागृति जीवोपदेश २०४ ध्यानोद्गार १७२ समय हितोपदेश सत्संग ૨૦૧ चित्तमां चेत धिकारवा योग्य २०५ १७३ धन्यवाद आपवा योग्य २०७ काम विषय स्वरूप १७४ मोह स्वरुप २०८ विवेक १७५ समाधि स्वरूप २१० लघुता गुण महिमा २१० लघुता विषे विनय महत्ता १७७ शुद्ध स्वरूप प्रेममा सर्वनी ऐकयता . २११ क्षमा महत्ता गुरु स्तुतिः २१३ लोभ स्वरूप शुद्ध स्वरुप विचार २१३ गुरु भक्ति महिमा अनन्त शक्तिथी खीलq २१४ क्रोध स्वरूप आनन्दघन २१५ सन्तसमागम महिमा १८५ भावना समान संस्कार शोक विषे १८७ फल २१६ आळदोष १८७ ध्यान जीवन १७६ १७६ साधु For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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