Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 02
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रच्यां हतां त्यांची अडाणज, उंवारसद, रांधवजा थइ माणसा गाममां अवायुं हतुं त्यां १५० थी ते ३०० त्रणसें पाना मुधीनां पदो जे जे समये स्फुरणा आवी ते ते प्रसंगे जोडायां हतां, चैतन्य शक्ति प्रकाश नामनो ग्रंथ श्री तारंगाजीमां रचायो हतो तेने अत्र दाखल कर्यो नथी. बाकीनां पदो, वरसोडा, लोदरा, रीदरोल; खेरालु, कलोल, उंझा, भोयणी विगेरे ठेकाणे उनाळानी रुतुमां विहारमां शांत समये जोडायां हतां. जे जे विषयनी स्फुरणाओ नीकळी छे तेने वांची मनन करी भव्य जीवो उच्च पदने प्राप्त करो, सद्गुण ग्राहक दृष्टिथी जे भव्यजीव वांचशे सांभळशे तेनुं सारु थशे. केटलाक गंभीर आत्मज्ञानना तथा योगना पदोमां समजण न पडे वा अपेक्षा न समजाय तो ज्ञानि सदगुरुने पुछी निर्णय करवो, जिनाज्ञा विरुद्ध लवायुं होय ते संबंधी मिथ्या दुष्कृत दउर्छ, सद् गुणदृष्टिथी भव्यजीवो आत्मानंद मेळवो. गाम रीदरोलवाला मुश्रावक शा. रीखवदास कालीदासभाइए भजन संग्रह बीजो भाग छपावी प्रसिद्ध कयों छे. रीखवदासभाइ जैनधर्मना पूर्णरागी अने उत्साही छे, जैनधर्मनां दरेक कृत्यमां तन मन धनथी भाग ले छे. रीदरोल के जे पोतार्नु गाम छे त्यां तीर्थकर भगवान्नी तिष्टा १९६३ ना जेठ शुदी बीजे थइ हती. त्यारे आगेवानी' भाग लेइ आठ हजारना आशरे रुपैया खा हता, साधु साध्वीनी भक्तिमां यथाशक्ति शुभ उद्यम करे छे, ज्ञानना उयोतमां अने केळवणीना फेलावामां आवी रीते धन खर्चे छ. माटे ते भाइने धन्यवाद पूर्वक धर्मलाभाशी दउं छ. वळी आ साथे आ भजन संग्रहना प्रुफशीट मुधारवामां सहाय करवामां सुश्रावक भाइश्री मणीलाल नथुभाइ दोशी बीए ए घणी मदद करी छे. माटे तेमने स स्नेह धर्मलाभाशिष आपवामां आवे छे. ॐ शांन्तिः शान्तिः शान्तिः आ पुस्तक वेचवाथी जे कीमत उपजशे ते सघळी रकम ज्ञान खाताना बीजा पुस्तको छापवामां वपराशे.. For Private And Personal Use Only

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