Book Title: Bhaiya Bhagavatidas aur Unka Sahitya
Author(s): Usha Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Sahitya Kala Manch

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Page 222
________________ 16. 17. भैया भगवतीदास, लोकाकाश क्षेत्र परिमाण कथन, छं0 सं0 2 आचार्य उमास्वाति, तत्वार्थसूत्र, अध्याय 3, श्लोक सं0 7, 8 यति वृषभाचार्य, तिलोयपण्णति, प्रथम भाग, अनुवादक पं0 बालचन्द शास्त्री, पृ0 सं0 22, 23 पं0 कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैन धर्म, पृ0 सं0 226 डॉ0 बासुदेव सिंह, अपभ्रंश और हिन्दी में जैन रहस्यवाद, पृ0 सं0 19. 20. 163 मनुष्य तियंद नारकी 22. 23. इनमें चार कोण, स्वर्ग, नरक, तिर्यंच और मनुष्य चार गतियों के प्रतीक हैं। उसके ऊपर तीन बिन्दु मोक्षमार्ग स्वरूप-सम्यक् दर्शन ज्ञान चारित्र के प्रतीक हैं। अर्धचन्द्र मोक्ष या निर्वाण की कल्पना है। द्रष्टव्य-डॉ० जयकिशन प्रसाद खंडेलवाल, जैन शासन का ध्वज, पृ० सं0 16 भैया भगवतीदास, दव्य संग्रह कवित्त बंध, छं0 सं0 14 बुद्धस्त्वमेव विबुधार्चितबुद्धिबोधात् त्वं शंकरो सि भुवनत्रयशंकरत्वात्। धातासि धीर! शिव मार्ग विधेर्विधानात् ___ व्यक्तं त्वमेव भगवन्। पुरुषोत्तमो सि।। - मानतुंगाचार्य, भक्तामर स्तोत्र, 25 वां पद्य। 24. भैया भगवतीदास, परमात्म छत्तीसी, छंद सं0 12, 13 25. भैया भगवतीदास, शत अष्टोत्तरी, छंद सं0 35 26. डॉ0 प्रेम सागर जैन, हिन्दी जैन भक्तिकाव्य और कवि, पृ0 सं0 2 27. पं0 जुगल किशोर मुख्तार, सिद्धिसोपान, छंद सं0 13, 14 28. भैया भगवतीदास, जिनधर्म पचीसिका, छंद सं0 21 29. जैन सिद्धान्त ने आत्मोत्थान, विकास या संसार अवस्था से मोक्ष तक (200) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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