Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 057 058 Author(s): Jinottamsuri, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 47
________________ mmm मंत्री ने हाथ का इशारा करके कहा- "जरा अपनी छावनी से बाहर निकलकर योजनों में फैली उनकी सेना को तो देखो !" यवनराज बाहर आता है। पर्वत की चोटी पर चढ़कर पार्श्वकुमार की सेना को देखता है। हाथी, घोड़े रथ, पैदल सैनिक दूर-दूर तक घूम रहे हैं। मन्त्री ने बताया- 'वह देखें महाराज ! पार्श्वकुमार के लिये देवताओं ने दिव्य महल की रचना की है। वे अद्भुत और अजेय हैं।" भयभीत होकर यवनराज ने पूछा- "मंत्रीश्वर ! फिर हम क्या करें ?" मंत्री - "राजन् ! आप उनकी शरण में जाइए। क्षमा माँगिए । " 9804441 यवनराज उपहार सजाकर मंत्री आदि के साथ पार्श्वकुमार की छावनी में आता है। पार्श्वकुमार को देखकर चकित रह गया-"अहा ! क्या यह कोई देव पुरुष हैं ? आँखों में कैसी करुणा है ? चेहरे पर कितनी प्रसन्नता है !" फिर हाथ जोड़कर कहता है-"हे देव ! मुझे क्षमा करें। मैं भयभीत होकर आया था, किन्तु अब मेरा मन बहुत शांति और अभय का अनुभव कर रहा है।” क्षमावतार भगवान पार्श्वनाथ Jain Education International For Private & Personal Use Only 45 www.jainelibrary.orgPage Navigation
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