Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 057 058
Author(s): Jinottamsuri, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 64
________________ hujan अनेक वर्षों तक विहार कर प्रभु ने धर्म का उपदेश दिया। हजारों लोगों ने दीक्षा ग्रहण की। अंत समय में प्रभु तेंतीस मुनियों के साथ सम्मेतशिखर गिरि पर पधारे। अनशन धारण कर प्रभु पद्मासन में विराजमान हो गये। ध्यान-मुद्रा में स्थित प्रभु ने श्रावण शुक्ला अष्टमी के दिन निर्वाण प्राप्त किया। __भगवान पार्श्वनाथ ३० वर्ष तक गृहस्थ जीवन में रहे, तत्पश्चात् ७० वर्ष तक संयममय जीवन जीते हुए श्रावण शुक्ला अष्टमी के दिन १०० वर्ष का पूर्ण आयुष्य भोगकर सम्मेतशिखर पर मोक्ष को प्राप्त हुए। 62 क्षमावतार भगवान पार्श्वनाथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70