Book Title: Bar Bhavna Sazzaya
Author(s): Jayanti Kothari
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 2
________________ अनुसंधान-१७ • 143 विषयवस्तुनी छे अने जेमा एमना कवित्वने विलसवानो खास कशो अवकाश मळ्यो नथी. (थोडां गीतो पण आवां मळे छे खरां.) कृतिमां जैन परंपरामां खूब जाणीती, मोक्षमार्गना साधनरूप बार भावनाओ वर्णवायेली छे. भावना एटले जेनुं चिंतन-पर्यालोचन करवू जोईए एवा तात्त्विक पदार्थो - देहादिनी अनित्यता वगेरे. अनित्यभावनाने संदर्भ रावणनां समृद्धि अने प्रतापर्नु तथा संसारनी - भवभ्रमणनी असारताने संदर्भ नरकनां दुःखोनुं वीगते वर्णन दाखल थयुं छे, परंतु आ वर्णनो केवळ परंपरागत छे. तत्त्वविचारना निरूपणमां अभिव्यक्तिनी कशी ताजगी के नूतनता आणवानुं कविए इच्छ्युं नथी. प्रतपरिचय आ कृतिनी ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिरनी क्र. ६६८०नी एकमात्र प्रत मळी छे. बीजी कोई प्रत जाणवा मळी नथी. प्रतनां चार पत्र छे. पत्र- माप २१x१० से. मि. छे. पत्रनी दरेक बाजुए १३ लीटी छे. छेल्ला पत्रनी बीजी बाजुए चार लीटी छे. दरेक लीटीमां आशरे ३७ अक्षर छे. प्रतना अक्षर मोटा, चोख्खा अने सुघड छे. प्रत घणी शुद्ध रीते लखायेली छे. पडिमात्रानो उपयोग थयो छे अने 'ख'ने माटे 'ष' वपरायो छे. लहियानुं नाम नथी, लेखनसंवत पण नथी, पण प्रत संवत सत्तरमी सदीनी ज होवानुं अनुमान थई शके छे. बार भावना सज्झाय पुरीयां मनिहिं विमासइ - ए दाल सरसति सरस ति वाणी, आपु अमीअ समाणी, भावन बार वखाणी, बूझवें भवीअण प्राणी. १ दुर्लभ मानव-जंवारु, भवीअण, ए लही सारु, भोलिमि, भोलडा, म हारु, आप-सवारथ सारु. २ माया ममता ऊतारु, मन 'उनमारगि वारु, वाणी-अमी अवधारु, भावन बार संभारु. ३ भावन मुगति-निधान, श्रीजिनशासनि प्रधान, ते सुण थई सावधान, छंडी कुमत अज्ञान. ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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