Book Title: Bar Bhavna Sazzaya
Author(s): Jayanti Kothari
Publisher: ZZ_Anusandhan
View full book text
________________
अनुसंधान-१७ • 152
शब्दार्थ (मध्यकालीन अने केटलाक पारिभाषिक शब्दोनो समावेश को छे. कडी अने पंक्तिक्रमांकनो निर्देश छे.) . अगनिवर्ण २५.१ अग्निना वर्णनें, रातुंचोळ, तपेखें अट्ठमि ३१.१ आठमी (सं.अष्टमी) अथिर ७.१० अस्थिर अनिवृत्तिकरण ३८.२ अपूर्वकरणरूप परिणाम पाछु जाय नहीं तेवी अवस्था
(सं.अनिवृत्तिकरण) अनुदीर्ण ३८.४ उदय न पामेल अथवा जेनो उदय दूर छे ते (सं.) अनेरडां १३.२ जुदेरां (सं.अन्यतर) अपूरवकरणडउ ३८.२ पूर्वे क्यारेय प्राप्त न थयेला एवा आत्माना शुभ
परिणामनी प्राप्ति (सं.अपूर्वकरण) अमा २९.५ अमाप, खूब (सं.) अमीय १.१ अमृत अलवि ८.६ सहेजमां, अनायासे अलीय १२.२ मिथ्या, खोटुं (सं.अलीक) असाय १६.४ अशातावेदनीय कर्मनो एक प्रकार, शारीरिक-मानसिक पीडा असिवन २२.२ तरवारना आकारनां पांदडांवाळां वृक्षोनुं वन (सं.) अंतेउर १४.२ अंत:पुर, राणीवास, राणीओ आदर- ८.५ स्वीकारवू, आश्रय लेवो (सं.आ+दृ) आप २.२ आत्मा आमिष १९.१ मांस (सं.) आरीसइ २९.२ अरीसामां (सं.आदर्श) आश्रव ३१.१ जे द्वारा कर्मो आवे छे ते, कर्मबंधनां कारण (सं.)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18