Book Title: Bar Bhavna Sazzaya
Author(s): Jayanti Kothari
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ अनुसंधान - १७• 151 नूटक अनिवृतिकरणि स जोई प्राणी, सूझतु खिणि खिणि घणडं, उदीर्ण मिच्छतक्षई घाती, अनुदीर्ण उपशमावी घणउं, इम लहइ समकित पंच भेदिई, क्षायिकादिक अति भलां, दस भेद वली निसर्ग आदिक लहइ प्राणी निर्मलां. ३८ [ ढाल] बोधिभावन बारमी ए, भावइ जेह महंत, ते नर निरमल संपजइ रे, पामइ सुक्ख अनंत. चूटक पामइ सुक्ख अनतं प्राणी, भावन बार वखाणी, एकमनां जे भावन भावइ, ते सुख आणइ ताणी, वड तपछि अति महिमामंदिर, श्रीविनयमंडन उवझाय, तस सीस जयवंत पंडित वीनवइ, सुखसंपद थिर थाइ ३९ इति श्री १२ भावना सज्झाय समाप्तः, श्री. श्री. श्री. श्री. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18