Book Title: Bar Bhavna Sazzaya
Author(s): Jayanti Kothari
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 16
________________ अनुसंधान-१७. 157 भवीअण १.२ भविजन, मोक्षनो अधिकारी जीव भल्लडी १९.२ नानो भालो (सं.भल्ल) भाव- ५.१ चिंतन कर (सं.भावय) भावन १.२ चिंतन, पर्यालोचन, तेना विषयरूप तत्त्वसिद्धांत (सं.) भोलिम २.२ भोळपण (दे.भोलउ परथी) मझारि १६.१ मध्ये, -मां (सं.मध्य+कार) महंत ३९.१ उत्तम, श्रेष्ठ, मोटुं (सं.महान्त) माग १६.२ मार्ग, रस्तो माझिम २१.१ मध्य (सं.मध्यम) माय ५.३ माता माया ३२.३ कपट (सं.) माहा २१.१ महा महिनो (सं.माघ) मिच्छत ३८.४ मिथ्यात्व, सत्य तत्त्व पर अश्रद्धा मिल १८.१ मेळवq, मिश्रित कर, मसळh ? (सं.) मेषोन्मेष १८.२ आंखना पलकारा मोकलडउ ३१.५ मोकळं, खुल्लु (सं.मुक्त, दे.मोकल्ल) मोगर १७.२ हथोडाना प्रकार- एक शस्त्र (सं.मुद्गर) यथाप्रवृतिकरण ३७.१ अनादिथी चालती प्रवृत्ति तेमनी तेम रहीने जीवमां शुभ परिणाम प्रवर्तवं ते राणिम ८.३ राजत्व, राजपद रितु ७.७ ऋतु रिषि ८.४ ऋषि रीर(रो) २०.२ चीस, आनंद लघुकरमी ३८.१ थोडां कर्म बाकी रह्यां छे तेवो जीव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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