Book Title: Balmanorama
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लिङ्गानुशासनप्रकरणम् / 116. 'नपुंसकम्' / अधिकारोऽयम् // 117. 'भावे ल्युडन्तः' / हसनम् / 'भाव' किम् / पचनोऽग्निः / इध्मव्रश्चनः कुठारः // 118. 'निष्ठा च' / भावे या निष्ठा तदन्तं क्लीबं स्यात् / हसितम् / गीतम् // 119. 'त्वष्यौ तद्धितौ' / शुक्लत्वम्-शौक्ल्यम्। ध्यञः पित्त्वसामर्थ्यात्पक्षे स्त्रीत्वम् / चातुर्यम्-चातुरी / सामग्र्यम्-सामग्री / औचित्यम् - औचिती // 120. 'कर्मणि च ब्राह्मणादिगुणवचनेभ्यः' / ब्राह्मणस्य कर्म ब्राह्मण्यम् // 121. ‘यद्यढग्यगअण्वुञ्छाश्च भावकर्मणि' / एतदन्तानि क्लीबानि / 'स्तेनाद्यन्नलोपश्च' (सू 1790) स्तेयम् / 'सख्युर्यः' (सू 1791) / सख्यम् / ‘कपिज्ञात्योर्डक्' (सू 1792) / कापेयम् / 'पत्यन्तपुरोहितादिभ्यो यक्' (सू 1793) / आधिपत्यम् / 'प्राणभृजातिवयोवचनोद्गात्रादिभ्योऽञ्' (सू 1794) / औष्ट्रम् / 'हायनान्तयुवादिभ्योऽण् ' (सू 1795) / द्वैहायनम् / द्वन्द्वमनोज्ञादिभ्यो वुञ् / पितापुत्रकम् / ‘होत्राभ्यश्छः' (सू 1800) / अच्छावाकीयम् / 'अव्ययीभावः-' (सू 659) / अधिस्त्रि // 122. 'द्वन्द्वैकत्वम्' / पाणिपादम् // 123. 'अभाषायां हेमन्तशिशिरावहोरात्रे च' / स्पष्टम् // 124. 'अनकर्मधारयस्तत्पुरुषः' / अधिकारोऽयम् // 125. 'अनल्पे छाया' / शरच्छायम् // 126. 'राजामनुष्यपूर्वा सभा'। इनसभमित्यादि // 127. 'सुरासेनाच्छायाशालानिशा स्त्रियां च // 128. 'परवत्' / अन्यस्तत्पुरुषः परवल्लिङ्गः स्यात् / 'रात्राहाहाः पुंसि' (सू 814) // 129. 'अपथपुण्याहे नपुंसके'॥ 130. 'सङ्खयापूर्वा रात्रिः' / त्रिरात्रम् / 'सङ्ख्यापूर्वा' इति किम् / सर्वरात्रः / 131. 'द्विगु: त्रियां च' / व्यवस्थया / पञ्च फली / त्रिभुवनम् // 132. 'इसुसन्तः' / हविः। धनुः // 133. 'अर्चिः स्त्रियां च' / इसन्तत्वेऽप्यर्चिः स्त्रियां नपुंसके च स्यात् / इयमिदं वार्चिः // 134. 'छदिः स्त्रियामेव' / इयं छदिः / छाद्यतेऽनेनेति छदेश्चुरादिण्यन्तात् 'अर्चिशुचि-' इत्यादिना इस् / ‘इस्मन्' इत्यादिना ह्रस्वः / 'पटलं छदिः' इत्यमरः / तत्र पटलसाहचर्याच्छदिषः क्लीबतां वदन्तोऽमरव्याख्यातार उपेक्ष्याः // 135. 'मुखनयनलोहबनमांसरुधिरकार्मुकविवरजलहलधनान्नाभिधानानि' / एतेषामभिधायकानि क्लीबे स्युः। मुखमाननम्। नयनं लोचनम् / लोहं कालम् / वनं गहनम् / मांसमामिषम् / रुधिरं रक्तम् / कार्मुकं शरासनम् / विवरं बिलम् / जलं वारि / हलं लाङ्गलम् / धनं द्रविणम् / अन्नमशनम् / अस्यापवादानाह त्रिसूत्र्या // 136. 'सीरार्थोदनाः पुंसि' // 137. वक्रनेत्रारण्यगाण्डीवानि पुंसि च' / वक्रो वक्रम् / नेत्रो नेत्रम् / अरण्योऽरण्यम् / गाण्डीवो गाण्डीवम् // 138. 'अटवी स्त्रियाम् // 139. 'लोपधः' / कुलम्-कूलम् / स्थलम् // 140. 'तूलोपलतालकुसूलतरलकम्बलदेवलवृषलाः पुंसि' / अयं तूलः // 141. 'शीलमूलमङ्गलसालकमलतलमुसलकुण्डलपललमृणालवालबालनिगलपलालविडालखिलशूलाः पुंसि च' / चाक्लीबे / इदं शीलमित्यादि / 142. 'शतादिः सङ्खया' / शतम् / सहस्रम् / 'शतादिः' इति किम् / एको द्वौ बहवः / 'सङ्खया' इति किम् / शतशृङ्गो नाम पर्वतः // 143. 'शतायुतप्रयुताः पुंसि च' / अयं शतः / इदं शतमित्यादि // 144. 'लक्षा कोटिः स्त्रियाम्' / इयं लक्षा। इयं कोटिः / 'वा लक्षा नियुतं च तत्' इत्यमराक्लीबेऽपि लक्षम् / 145. 'शङ्कुः पुंसि' / सहस्रः क्वचित् / अयं सहस्रः / इदं सहस्रम् // 146. 'मन्यच्कोऽकर्तरि' / मन्प्रत्ययान्तो द्यच्कः क्लीबः स्यान तु For Private And Personal Use Only

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