Book Title: Balbodh Pathmala 2 Author(s): Hukamchand Bharilla Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 7
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पाठ पहला देव-स्तुति वीतराग सर्वज्ञ हितंकर, भविजन की अब पूरो पास। ज्ञान भानु का उदय करो, मम मिथ्यातम का होय विनास।। जीवों की हम करुणा पालें, झूठ वचन नहीं कहें कदा । परधन कबहुँ न हरहूँ स्वामी, ब्रह्मचर्य व्रत रखें सदा।। तृष्णा लोभ बढ़े न हमारा, तोष सुधा नित पिया करें। श्री जिनधर्म हमारा प्यारा, तिस की सेवा किया करें।। दूर भगावें बुरी रीतियाँ, सुखद रीति का करें प्रचार। मेल-मिलाप बढ़ावें हम सब, धर्मोन्नति का करें प्रचार।। सुख-दुख में हम समता धारें; रहें अचल जिमि सदा अटल। न्याय–मार्ग को लेश न त्यागें, वृद्धि करें निज प्रातमबल।। प्रष्ट करम जो दुःख हेतु हैं, तिनके क्षय का करें उपाय। नाम आपका जपें निरन्तर, विघ्न शोक सब ही टल जाय।। प्रातम शुद्ध हमारा होवे, पाप मैल नहिं चढ़े कदा। विद्या की हो उन्नति हम में, धर्म ज्ञान हू बढ़े सदा।। हाथ जोड़कर शीश नवावें, तुम को भविजन खड़े खड़े। यह सब पूरो आस हमारी, चरण शरण में आन पड़े।। mm Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.comPage Navigation
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