Book Title: Balbodh Pathmala 2
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 36
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पहला छात्र – उनके जन्म कल्याणक के समय तो उत्सव मनाया गया होगा? जब हम आज भी उत्सव मनाते हैं, तो तब का क्या कहना ? प्रध्यापक – हाँ, वे नाथवंशीय क्षत्रिय राजकुमार थे। उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला देवी था। उन्होंने तो उत्सव मनाया ही था, पर साथ ही सारी जनता ने यहाँ तक कि स्वर्ग के देव तथा इन्द्रादिकों ने भी उत्सव मनाया था। दूसरा छात्र – उनका ही जन्मोत्सव क्यों मनाया जाता हैं, औरों का क्यों नहीं? अध्यापक - उनका यह अन्तिम जन्म था। इसके बाद तो उन्होंने जन्म-मरण का नाश ही कर दिया। वे वीतराग और सर्वज्ञ बने। जन्म लेना कोई अच्छी बात नहीं है, पर जिस जन्म में जन्म-मरण का नाश कर भगवान बना जा सके, वही जन्म सार्थक है। पहला छात्र – अच्छा, तो आज जन्म-मरण का नाश करने वाले का जन्मोत्सव दूसरा छात्र – गुरुजी, आपने उनके माता-पिता का नाम तो बताया, पर पत्नी और बच्चों का नाम तो बताया ही नहीं। अध्यापक - उन्होंने शादी ही नहीं की थी। अतः पत्नी और बच्चों का प्रश्न ही नहीं उठता। उनके माता-पिता कोशिश करके हार गये, पर उन्हें शादी करने को राजी न कर सके। तीसरा छात्र- तो क्या वे साधु हो गये थे ? ३२ Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

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