Book Title: Balbodh Pathmala 2
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 35
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पहला छात्र – गुरुजी, बड़े विद्वानों की बातें तो हमारी समझ में नहीं आतीं। आप ही बताइये न , भगवान महावीर कौन थे ? कहाँ जन्मे थे ? अध्यापक – बच्चो! भगवान जन्मते नहीं, बनते हैं। जन्म तो आज से करीब २५८० वर्ष पहिले चैत्र शुक्ला १३ के दिन बालक वर्धमान का हुअा था। बाद में वह बालक वर्धमान ही आत्म-साधना का अपूर्व पुरुषार्थ कर भगवान महावीर बना। दूसरा छात्र – इसका मतलब तो यह हुआ कि हमारे में से भी कोई भी आत्म साधना कर भगवान बन सकता है। तो क्या वर्धमान जन्मते समय हम जैसे ही थे ? अध्यापक – और नहीं तो क्या ? यह बात जरूर है कि वे प्रतिभाशाली, प्रात्मज्ञानी, विचारवान, स्वस्थ और विवेकी बालक थे। साहस तो उनमें अपूर्व था, किसी से कभी डरना तो उन्होंने सीखा ही नहीं था। अतः बालक उन्हें बचपन से वीर, अतिवीर कहने लगे थे। तीसरा छात्र- उन्हें सन्मति भी तो कहते हैं ? अध्यापक – उन्होंने अपनी बुद्धि का विकास कर पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया था, अतः सन्मति भी कहे जाते हैं और सबसे प्रबल रागद्वेषरूपी शत्रुओं को जीता था, अत: महावीर कहलाये। उनके पाँच नाम प्रसिद्ध हैं - वीर, अतिवीर, सन्मति, वर्धमान और महावीर। ३१ Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

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