Book Title: Balbodh Pathmala 2
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 25
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates जब कोई जीव कहीं से मरकर मनुष्यगति में जन्म लेता है अर्थात् मनुष्य-शरीर धारण करता है तो उसे मनुष्य कहते हैं। पुत्र – अच्छा तो हम मनुष्यगति के जीव हैं। गाय, भैंस, घोड़ा आदि किस गति में हैं ? पिता – वे तिर्यञ्चगति के जीव हैं। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति, कीड़े-मकोड़े, हाथी, घोड़े, कबूतर, मोर आदि पशु-पक्षी जो तुम्हें दिखाई देते हैं, वे सभी तिर्यञ्चगति में आते हैं। तिर्यञ्चगति जब कोई जीव मरकर इनमें पैदा होता है तो वह तिर्यञ्च कहलाता है। पुत्र – जब मनुष्यों को छोड़ कर दिखाई देने वाले सभी तिर्यञ्च हैं तो फिर नारकी कौन हैं ? पिता – इस पृथ्वी के नीचे सात नरक हैं। वहाँ का वातावरण बहुत ही कष्टप्रद है। वहाँ पर कहीं शरीर को जला देने वाली भयंकर गमी और नरकगति २१ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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