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जब कोई जीव कहीं से मरकर मनुष्यगति में जन्म लेता है अर्थात्
मनुष्य-शरीर धारण करता है तो उसे मनुष्य कहते हैं। पुत्र – अच्छा तो हम मनुष्यगति के
जीव हैं। गाय, भैंस, घोड़ा
आदि किस गति में हैं ? पिता – वे तिर्यञ्चगति के जीव हैं।
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति, कीड़े-मकोड़े, हाथी, घोड़े, कबूतर, मोर आदि पशु-पक्षी जो तुम्हें दिखाई देते हैं, वे सभी तिर्यञ्चगति में आते हैं।
तिर्यञ्चगति
जब कोई जीव मरकर इनमें पैदा होता है तो वह तिर्यञ्च
कहलाता है। पुत्र – जब मनुष्यों को छोड़ कर दिखाई देने वाले सभी तिर्यञ्च हैं तो फिर
नारकी कौन हैं ?
पिता – इस पृथ्वी के नीचे सात
नरक हैं। वहाँ का वातावरण बहुत ही कष्टप्रद है। वहाँ पर कहीं शरीर को जला देने वाली भयंकर गमी और
नरकगति
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