Book Title: Balavbodh Mokshmala
Author(s): Mansukhlal Ravjibhai Mehta
Publisher: Mansukhlal Ravjibhai Mehta

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Page 6
________________ जे रश्यन तत्त्वज्ञ आखी सुधरेली दुनियामां पोताना ज्ञानभंडोळ माटे कीर्ति संप्राप्त करी शक्या छे तेनी सरखामणीमां धार्मिक स्वानुभवमा श्रीमान् राजचंद्र विशेष आगळ वधी जाय छे एम श्रीयुत गांधीनो अभिप्राय प्रत्येके प्रत्येक हिंदीने एक अत्यंत अभिमान उत्पन्न कर्या विना रहे तेम नथी. श्रीमान् राजचंद्रनुं नाम जैन समाजमा एटलुं बधुं प्रसिद्ध छे के, तेओने माटे विशेष माहिती आपवानी जरुर नथी; छतां तेओना जीवननो संक्षिप्त ख्याल अन्यत्र आप्यो छे. अलाहबादमा नीकळता जाणीता अग्लो इन्डयन पत्र " पायोनीयरे" श्रीमान् राजचंद्रना देहोत्सर्ग समये एक स्थंभ लेख लखी आजे पण हिंदमां केवा पुरुषो उत्पन्न थाय छे ते बताववाना हेतुए ते लेखने " आजना हिंदीओ" (Indians of To-day) नामनुं मथाळु आप्युं तुं. ____ अमेरिकामा जइ जैन विषयक ज्ञाननो प्रचार करवा माटे जाणीता थयेला स्वर्गस्थ वीरचंद राघवजी गांधीए चिकागो शहरमां एक व्याख्यान आप्यु हतुं. आ व्याख्यानमा तेओए पूर्वना समयमां जैनमार्गमां केवी असाधारण शक्तिओना पुरुषोनुं उत्पन्न थर्बु थतुं हतुं ते बताववा माटे आचार्य भगवान् श्री हेमचंद्राचार्य- उदाहरण आप्यु हतुं; अने हालना समयमां पण जैन मार्ग पोताने विषे तेवा प्रकारनी शक्तिओ धरावनारा पुरुषो उत्पन्न करवानो गर्व लई शके छे एम बताववा माटे श्रीमान राजचंद्रनी असाधारण शक्तिओनुं विवेचन करी बताव्यु हतुं. स्वर्गस्थ वीरचंद गांधी जेवा बाहोश पुरुषे अमेरिकामा जइ पोताना मार्गने विषे जे पुरुषनी प्रत्यक्षता बताववा गर्व धर्यो हतो, तेमज श्रीयुत मोहनदास गांधी जेवा समर्थ आत्मभोग आपनार विद्वान् राज्यद्वारीए जे पुरुषर्नु अनुकरण करवा माटे आफ्रिकामां बेठां हिंदीओने उपदेश आपवामां पोतानुं कर्तव्य विचार्यु छे ते पुरुषनां वचमोनो थोडोक संग्रह प्रकट करवानुं मने उचित लाग्युं छे.

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