Book Title: Ayurved Mahavir
Author(s): Nemichand Pugaliya
Publisher: Usha evam Mina

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ तिल्ली तेल लगाइए, अगर जला दे आग भोग जलाने जब लगे, अपना लेना त्याग २१ इच्छा भेदी रस लिए, मिट जाता पानाह प्रभु पूजा का प्रण लिए, मिट जाता भवदाह २२ जयमंगल रस शत्र है, आमवात का खास __ परममित्र प्रभु वीर पर, कर रे मन ! विश्वास २३ कास मिटाने के लिए, चूरण है वासादि महावीर प्रभु ने कहा, नहीं जगत की आदि २४ कृमिनाशक माना गया, चूरण वायविडंग भ्रमनाशक माना यहां, प्रभुवर ने सत्संग २५ अरुचि मिटाने के लिए, शंखवटो तैयार द्वष मिटाने के लिए, बनिए आप उदार २६ दूर कर रही पीलिया, यथा भस्ममंडूर सही परिस्थिति को किया, प्रभुवर ने मंजूर २७ मिलती रससिन्दूर से, जीर्णज्वर में शांति मिलती प्रभु की भक्ति से, बहुत बड़ी विश्रान्ति २८ टिका राजयक्ष्मा नहीं, पंचामृत के पास भाग्य और पुरुषार्थ का, सधता साथ विकास २६ यवक्षार से हट रहा, मूत्रकृछ, का रोग दुःख हेतु माने गए, ये संयोग-वियोग ३० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20