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सम्मतियां
सुश्रावक कवि श्री नेमीचन्द जी पुगलिया के लेखन और संपादन से मैं जितना प्रभावित हूं उससे अधिक उनके मधुर और सरल व्यवहार से प्रभावित हूं।
आपकी होमियो महावीर, आयुर्वेद महावीर, प्राकृतिक महावीर और ज्योषित महावीर नाम की चारों पुस्तकें नूतन शैली के साथ उपयोगी होते हुए भगवान महावीर के प्रति आंतरिक भक्ति का अनुपम उदाहरण
मैं आशा कर सकता हूं कि कवि श्री पुगलिया जी की कृतियां आरोग्य और बोधिलाभ देने वाली सिद्ध हों।
उपप्रवर्तक, कविरत्न चन्दन मुनि (पंजाबी)
कवि श्री नेमीचन्द जी पुगलिया कृत प्रस्तुत रचना को देखा, पढ़ा। पुरातन रचना-पद्धति को पुनरुज्जीवित करने वाली यह रचना वर्तमान-युग को आकर्षित करेगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
प्रस्तुत पुस्तक नव्य और भव्य होने के साथ-साथ मननीय, पठनीय संग्रहणीय और प्रचारणीय है ।
-उपाध्याय, दर्शन सागर
बीकानेर २६७-७४
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