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गर्भावस्था में सुखद, कहा सुपारीपाक
सर्वावस्था में सुखद, माना पुण्य-विपाक ५१ बाल बढ़ाने लिए, भृगराज का तेल
शक्ति बढ़ाने के लिए, रहते वीर अचेल ५२ वात मिटाने के लिए, है नारायण तेल
साथ जुटाने के लिए, रहते सन्त सचेल ५३ दमा दिखाता दीनता, कनकासव के पास
महावीर प्रभु को नहीं, देखा कभी उदास ५४ वातशूल नाशक यथा, है हिंग्वाष्टक चूर्ण
__ जन्ममूल नाशक तथा, प्रभु पूजाष्टक पूर्ण ५५ चूरण सितोपलादि से, मिटता यहां जुकाम
प्रभु सेवा भावादि से, नहीं सताता काम ५६ मिलती अभ्रक भस्म से, ज्ञानतंतु को शक्ति
लिए मुक्ति के कीजिए, महावीर की भक्ति ५७ करती भस्मकपदिका, अम्लपित्त का नाश
पूर्व जन्म पर वीर का, था पूरा विश्वास ५८ पुंसकत्व देती यहां, जैसे भस्मत्रिबंग
चढ़ा हुआ था वीर पर, अलिंगता का रंग ५६ शक्ति मानसिक दे रही, कामदुधा ज्यों शुद्ध ।
होती है वोरार्चना, दुर्बलता पर क्रुद्ध ६०
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